राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) – इतिहास, विचारधारा और रोचक तथ्य [2023 Guide]

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भारत का सबसे बड़ा सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन है, जिसने स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आज तक देश के सामाजिक और राजनीतिक जीवन को गहराई से प्रभावित किया है। अक्सर लोग पूछते हैं – “RSS का मूल मंत्र क्या है?”, “RSS का संस्थापक कौन था?” या “RSS और BJP का आपस में क्या संबंध है?”

RSS शाखा में स्वयंसेवक और भगवा ध्वज | Rashtriya Swayamsevak Sangh

इस आर्टिकल में हम RSS का पूरा इतिहास, विचारधारा, संरचना, गीत, प्रतिज्ञा, कार्यप्रणाली और रोचक तथ्य विस्तार से समझेंगे। साथ ही यह भी जानेंगे कि RSS में सदस्यता (Membership) कैसे ली जाती है और “RSS में कितने मुस्लिम हैं?” जैसे सवालों का उत्तर भी मिलेगा।

👉 यह गाइड आपके सभी सवालों को सरल भाषा में कवर करेगा और आपको RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के बारे में गहराई से जानकारी देगा।

🟠 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) क्या है?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh – RSS) एक हिंदू स्वयंसेवी संगठन (Volunteer Organization) है जिसकी स्थापना 1925 में नागपुर, महाराष्ट्र में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य था – समाज को एकजुट करना, राष्ट्रीय चरित्र का विकास करना और भारत को सशक्त राष्ट्र बनाना।

👉 इसे अक्सर संघ (Sangh) कहा जाता है और इसके सदस्यों को स्वयंसेवक (Swayamsevak) कहा जाता है।

🔹 मुख्य विशेषताएँ:

  • स्थापना: 27 सितंबर 1925, नागपुर
  • संस्थापक: डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार
  • प्रकृति: सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन
  • मुख्य कार्य: दैनिक शाखाएँ (Daily Shakhas), शारीरिक-मानसिक प्रशिक्षण, सामाजिक सेवा
  • प्रभाव: राजनीति (खासकर BJP), शिक्षा, समाज सेवा, धार्मिक-सांस्कृतिक क्षेत्र

📌 एक रोचक तथ्य:

RSS के स्वयंसेवक “शाखा (Shakha)” में प्रतिदिन मिलते हैं। यहाँ वे प्रार्थना, योग, खेल और राष्ट्रवादी विचारधारा पर चर्चा करते हैं। यही शाखाएँ RSS की रीढ़ मानी जाती हैं।

📊 RSS बनाम अन्य संगठन

पहलू (Aspect)RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ)अन्य सामाजिक संगठन
स्थापना वर्ष1925प्रायः 1900–1950 के बीच
कार्यप्रणालीशाखाएँ, प्रतिज्ञा, राष्ट्रवाद, अनुशासनसभाएँ, NGO कार्य
राजनीतिक प्रभावभाजपा (BJP) का वैचारिक आधारसीमित या क्षेत्रीय स्तर
सदस्यता (Membership)खुली, निःशुल्क, स्वेच्छा आधारितपंजीकरण/फीस आधारित

🟠 RSS का फुल फॉर्म (Full Form in Hindi & English)

RSS का फुल फॉर्म है – “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh)”।

  • Hindi में: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
  • English में: Rashtriya Swayamsevak Sangh

👉 RSS का अर्थ है “राष्ट्र की सेवा करने वाले स्वयंसेवकों का संगठन”। इसका उद्देश्य व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठकर समाज और राष्ट्र की भलाई करना है।

🟠 RSS की स्थापना – तारीख, जगह और संस्थापक

RSS की स्थापना 27 सितंबर 1925 को नागपुर (महाराष्ट्र) में हुई थी।
इस संगठन की नींव रखने वाले थे डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार (Keshav Baliram Hedgewar)

📌 स्थापना का उद्देश्य:

  1. समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और कमजोरियों को दूर करना।
  2. हिंदू समाज को एकजुट करना और राष्ट्रवाद की भावना जगाना।
  3. युवाओं में अनुशासन (Discipline), देशभक्ति (Patriotism) और सेवा भाव (Service Spirit) पैदा करना।

🟢 ऐतिहासिक संदर्भ:

जब 1920–30 के दशक में भारत स्वतंत्रता आंदोलन की ओर बढ़ रहा था, उस समय समाज कई हिस्सों में बंटा हुआ था।

  • जातिवाद
  • धार्मिक विभाजन
  • अंग्रेज़ों की “Divide & Rule” नीति

इन्हीं चुनौतियों को देखते हुए हेडगेवार जी ने RSS की स्थापना की ताकि “एक राष्ट्र, एक समाज और एक संस्कृति” का सपना पूरा हो सके।

📊 RSS की स्थापना से जुड़ी मुख्य घटनाएँ

वर्षघटना
1925नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने RSS की स्थापना की
1930शाखाओं की संख्या तेजी से बढ़ी
1940गुरुजी माधव सदाशिव गोलवलकर (M. S. Golwalkar) ने RSS का नेतृत्व संभाला
1947स्वतंत्रता के बाद RSS का प्रभाव राजनीति और समाज में बढ़ा
1951श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ (BJS) की स्थापना RSS की प्रेरणा से की
1980भारतीय जनता पार्टी (BJP) बनी, RSS इसका वैचारिक आधार रहा
2023RSS भारत का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन बना, लाखों शाखाओं के साथ

🟠 RSS का संस्थापक – डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार

👉 डॉ. हेडगेवार (1889–1940) एक स्वतंत्रता सेनानी और महान राष्ट्रभक्त थे।

  • जन्म: 1 अप्रैल 1889, नागपुर
  • शिक्षा: मेडिकल डिग्री (Doctor by profession)
  • स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े
  • 1925 में RSS की स्थापना

उनका मानना था कि “जब तक समाज संगठित नहीं होगा, तब तक राष्ट्र मजबूत नहीं बन सकता।”

🔹 उनके बाद गुरुजी माधव सदाशिव गोलवलकर (M. S. Golwalkar) ने संगठन की बागडोर संभाली और RSS को पूरे भारत में फैलाया।

📌 RSS की स्थापना बनाम अन्य संगठन

संगठनस्थापना वर्षसंस्थापकउद्देश्य
RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ)1925डॉ. केशव बलिराम हेडगेवारसमाज को संगठित करना, राष्ट्रवाद
कांग्रेस (INC)1885A. O. Humeस्वतंत्रता आंदोलन
मुस्लिम लीग1906आगा खानमुस्लिम हितों की रक्षा
आर्य समाज1875स्वामी दयानंद सरस्वतीधार्मिक सुधार आंदोलन

🟠 RSS का मूल मंत्र (Mool Mantra)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का मूल मंत्र है – “नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे”।
यह प्रार्थना संघ की शाखाओं में रोज़ गाई जाती है। इसे “संघ प्रार्थना” भी कहा जाता है।

👉 इस मंत्र का अर्थ है – “हे मातृभूमि, हम हमेशा तुम्हें प्रणाम करते हैं और तेरा गौरव बढ़ाने के लिए समर्पित रहते हैं।”

📌 मूल मंत्र से जुड़े तथ्य:

  • यह संघ की आत्मा (Soul of RSS) माना जाता है।
  • इससे स्वयंसेवकों में देशभक्ति (Patriotism) और नैतिक अनुशासन (Moral Discipline) पैदा होता है।
  • शाखा (Shakha) की शुरुआत और अंत इसी प्रार्थना से होता है।

🟠 RSS की प्रतिज्ञा (Oath / Pledge)

RSS में शामिल होने वाले प्रत्येक स्वयंसेवक को एक प्रतिज्ञा (Pledge) लेनी होती है। इसे हिंदी में इस तरह कहा जाता है –

👉 “मैं स्वेच्छा से भारतवर्ष को अपनी मातृभूमि मानकर, हिंदू संस्कृति की श्रेष्ठता में अटूट विश्वास रखते हुए, अपने जीवन को राष्ट्र की सेवा में समर्पित करता हूँ।”

🔹 प्रतिज्ञा का महत्व:

  1. अनुशासन (Discipline): स्वयंसेवक राष्ट्र और समाज के प्रति जिम्मेदार बनता है।
  2. समर्पण (Dedication): व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठकर समाज और राष्ट्र की भलाई के लिए काम करना।
  3. एकता (Unity): सभी स्वयंसेवक एक ध्येय और विचारधारा से बंधे रहते हैं।

📌 यही वजह है कि लोग गूगल पर पूछते हैं – “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिज्ञा क्या है?” → इसका उत्तर यही है।

🟠 RSS का गीत और प्रार्थना

RSS में कई देशभक्ति गीत और प्रार्थनाएँ गाई जाती हैं। इनमें सबसे प्रमुख हैं:

  1. संघ प्रार्थना (Namaste Sada Vatsale Matribhume)
  2. संघ गीत (Sangh Geet): इसमें संगठन की महिमा और राष्ट्रभक्ति का वर्णन होता है।
  3. शाखा प्रार्थना: शाखा समाप्त होने पर सामूहिक रूप से गाई जाती है।

👉 इन गीतों और प्रार्थनाओं का उद्देश्य है –

  • युवाओं में राष्ट्रवाद (Nationalism) जगाना
  • समाज में सामूहिक भावना (Collective Spirit) पैदा करना
  • संस्कृति और परंपराओं को आगे बढ़ाना

📊 RSS प्रार्थना और गीत की तुलना

प्रकारनाममहत्व
मूल मंत्रनमस्ते सदा वत्सले मातृभूमेसंघ की आत्मा, राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा
प्रतिज्ञाराष्ट्र सेवा की शपथसमर्पण और अनुशासन
संघ गीतविविध देशभक्ति गीतसंगठन और संस्कृति का प्रचार

👉 गुरुजी माधव सदाशिव गोलवलकर का एक प्रसिद्ध कथन है –
“संघ का कार्य व्यक्ति निर्माण है, और जब व्यक्ति श्रेष्ठ बनता है तो राष्ट्र स्वतः महान हो जाता है।”

📌 अब तक हमने जाना कि RSS का मूल मंत्र, प्रतिज्ञा और गीत क्या हैं और उनका संगठन की विचारधारा में क्या महत्व है।

🟠 RSS की कार्यप्रणाली और पद

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की कार्यप्रणाली बहुत ही अनुशासित और अनोखी है।
RSS का सबसे बड़ा आधार है – शाखा (Shakha)
👉 शाखा वह जगह है जहाँ स्वयंसेवक रोज़ाना मिलते हैं और प्रार्थना, खेल, व्यायाम और राष्ट्रभक्ति गीतों के माध्यम से संगठनात्मक जीवन जीते हैं।

🔹 शाखा (Shakha) की मुख्य गतिविधियाँ:

  1. प्रार्थना और मूल मंत्र का उच्चारण।
  2. व्यायाम और खेल → शरीर को स्वस्थ और अनुशासित बनाना।
  3. सांस्कृतिक चर्चा → इतिहास, राष्ट्रवाद और सामाजिक मुद्दों पर संवाद।
  4. सामूहिक अनुशासन → एक साथ बैठना, चलना और काम करना।

🟠 RSS में कौन-कौन से पद होते हैं?

RSS एक बहुत ही सुव्यवस्थित संगठन है, जिसमें अलग-अलग स्तरों पर अलग-अलग पद होते हैं।

📌 मुख्य पद और जिम्मेदारियाँ:

पद (Position)जिम्मेदारी (Responsibility)
सरसंघचालक (Sarsanghchalak)संगठन का सर्वोच्च प्रमुख, RSS का नेतृत्व करता है
सरकार्यवाह (Sarkaryawah)संगठन का मुख्य कार्यकारी अधिकारी
प्रचारक (Prachaarak)पूर्णकालिक कार्यकर्ता जो पूरे जीवन को संघ को समर्पित करता है
जिला/प्रांत कार्यवाहक्षेत्रीय स्तर पर कार्य का संचालन
शाखा प्रमुख (Mukhya Shikshak)स्थानीय शाखा का संचालन करता है

👉 अक्सर लोग पूछते हैं – “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कौन-कौन से पद होते हैं?” → इसका उत्तर यही संरचना है।

🟠 RSS सदस्यता (Membership) और जुड़ने की प्रक्रिया

लोग गूगल पर पूछते हैं – “RSS join कैसे करें?” या “RSS membership free है या paid?”
👉 RSS की सदस्यता पूरी तरह स्वैच्छिक (Voluntary) और निःशुल्क (Free) है।

📌 RSS से जुड़ने का तरीका:

  1. नज़दीकी शाखा (Shakha) में जाकर स्वयंसेवक के रूप में शामिल हों।
  2. नियमित उपस्थिति दें और प्रार्थना/गतिविधियों में भाग लें।
  3. संगठन की विचारधारा और प्रतिज्ञा को स्वीकार करें।

🔹 नोट: यहाँ कोई ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन या फीस की बाध्यता नहीं है।

🟠 RSS प्रचारक सैलरी

अक्सर यह सवाल उठता है – “आरएसएस प्रचारक सैलरी कितनी होती है?”
👉 इसका उत्तर है – RSS प्रचारकों को कोई वेतन नहीं मिलता।
वे स्वयंसेवक होते हैं और अपना पूरा जीवन संगठन को समर्पित करते हैं।
उनकी जरूरतें और खर्चे समाज और संघ परिवार द्वारा पूरे किए जाते हैं।

इसलिए प्रचारक को समर्पण (Dedication) और त्याग (Sacrifice) का प्रतीक माना जाता है।

🟠 आधुनिक कार्यप्रणाली – RSS feed और विस्तार

आज के समय में RSS केवल शाखाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी सक्रिय है।

  • RSS feed का उपयोग करके लोग समाचार और गतिविधियों की जानकारी पा सकते हैं।
  • संघ के विभिन्न संगठन जैसे – विद्या भारती (शिक्षा), सेवा भारती (सेवा कार्य), भारतीय मजदूर संघ (श्रमिक संगठन) समाज में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।

📌 RSS कार्यप्रणाली vs Modern NGOs

पहलू (Aspect)RSSसामान्य NGO
सदस्यतानिःशुल्क, स्वैच्छिकफीस आधारित / रजिस्टर्ड
गतिविधिशाखा, राष्ट्रवाद, सांस्कृतिक कार्यसमाज सेवा प्रोजेक्ट
संरचनाअनुशासन, पदानुक्रमलचीला
आर्थिक मॉडलदान और समाज सहयोगप्रोजेक्ट फंडिंग

🟠 RSS और BJP का संबंध

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को अक्सर भारतीय जनता पार्टी (BJP) का वैचारिक आधार (Ideological Base) कहा जाता है।
👉 RSS सीधे राजनीति में भाग नहीं लेता, लेकिन इसके कार्यकर्ताओं और विचारधारा का असर भारतीय राजनीति पर बहुत गहरा है।

📌 RSS से राजनीति का सफर:

  1. 1951 – श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ (BJS) की स्थापना की, जो RSS की प्रेरणा से बना।
  2. 1980 – जनसंघ से विकसित होकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) बनी।
  3. आज – BJP भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है और इसके अधिकांश शीर्ष नेता RSS से जुड़े रहे हैं।

🔹 प्रमुख उदाहरण:

  • अटल बिहारी वाजपेयी (पूर्व प्रधानमंत्री) – RSS प्रचारक से राजनीति में आए।
  • नरेंद्र मोदी (वर्तमान प्रधानमंत्री) – 1970 के दशक में RSS से जुड़े।
  • लालकृष्ण आडवाणी, मोहन भागवत – RSS पृष्ठभूमि से आए नेता।

👉 इसीलिए लोग पूछते हैं – “RSS-BJP का क्या संबंध है?” → सरल शब्दों में कहा जाए तो BJP RSS की विचारधारा पर आधारित राजनीतिक अभिव्यक्ति है।

🟠 RSS में शामिल होने के लाभ

बहुत लोग गूगल पर सर्च करते हैं – “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल होने के लाभ क्या हैं?”
👉 RSS केवल संगठन ही नहीं, बल्कि व्यक्तित्व निर्माण (Personality Development) और समाज सेवा (Social Service) का एक मंच है।

📌 RSS से जुड़ने के 7 बड़े फायदे:

  1. अनुशासन (Discipline): नियमित शाखाओं से जीवन में समय प्रबंधन और अनुशासन आता है।
  2. देशभक्ति (Patriotism): संगठन राष्ट्र के प्रति समर्पण और त्याग की भावना सिखाता है।
  3. नेतृत्व क्षमता (Leadership Skills): स्वयंसेवकों को नेतृत्व और टीमवर्क का अनुभव मिलता है।
  4. सामाजिक सेवा (Social Service): बाढ़, भूकंप जैसी आपदाओं में RSS स्वयंसेवक सबसे पहले मदद करते हैं।
  5. सांस्कृतिक जागरूकता (Cultural Awareness): हिंदू संस्कृति, परंपरा और इतिहास की गहरी समझ मिलती है।
  6. व्यक्तिगत विकास (Personal Growth): शारीरिक-मानसिक मजबूती, सार्वजनिक बोलने की कला और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  7. राष्ट्र निर्माण (Nation Building): संगठन का मकसद है – “व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण”।

📊 RSS से जुड़ने के लाभ बनाम अन्य संगठन

पहलू (Aspect)RSS में लाभअन्य संगठन
अनुशासनशाखाओं के माध्यम से मजबूतसीमित
देशभक्तिमूल मंत्र और प्रार्थना पर आधारितसामान्य
नेतृत्वहर स्वयंसेवक को जिम्मेदारी मिलती हैकुछ नेताओं तक सीमित
सामाजिक सेवाआपदा और संकट में सक्रियअक्सर परियोजना आधारित
सांस्कृतिक योगदानसंस्कृति और परंपरा का संरक्षणसीमित

👉 नरेंद्र मोदी ने स्वयं कहा था –
“RSS ने मुझे राष्ट्र के लिए जीना और काम करना सिखाया।”

📌 अब तक हमने जाना कि RSS और BJP का आपसी संबंध क्या है और RSS से जुड़ने के लाभ कौन-कौन से हैं।

🟠 RSS में मुस्लिमों की भागीदारी

अक्सर यह सवाल उठता है – “RSS में कितने मुस्लिम हैं?” या “क्या मुस्लिम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हिस्सा बन सकते हैं?”

👉 इसका उत्तर है – RSS किसी भी धर्म, जाति या समुदाय के व्यक्ति का स्वागत करता है, बशर्ते वह संगठन की मूल विचारधारा और प्रतिज्ञा को मानने के लिए तैयार हो।

📌 तथ्य:

  • विभिन्न शहरों और राज्यों में कई मुस्लिम स्वयंसेवक RSS की शाखाओं में शामिल हुए हैं।
  • “मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MNM)” RSS से प्रेरित एक संगठन है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग सक्रिय रूप से काम करते हैं।
  • 2020 के बाद से RSS ने “समाज समरसता” पर ज़ोर दिया, ताकि सभी धर्मों और जातियों में समानता का भाव पैदा हो।

🔹 हालांकि, संगठन की पहचान मुख्य रूप से हिंदू सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से जुड़ी है, इसलिए मुस्लिमों की संख्या अपेक्षाकृत कम है।

🟠 RSS का गुरु कौन है?

RSS में गुरु (Teacher) के रूप में किसी व्यक्ति को नहीं माना जाता।
👉 RSS का एकमात्र गुरु – “भगवा ध्वज (Saffron Flag)” है।

📌 गुरु का महत्व:

  • RSS शाखा में “भगवा ध्वज” को प्रणाम किया जाता है।
  • यह ध्वज त्याग (Sacrifice), शौर्य (Bravery), पवित्रता (Purity) और संस्कृति (Culture) का प्रतीक है।
  • गुरुजी माधव सदाशिव गोलवलकर ने कहा था – “संघ का वास्तविक गुरु भगवा ध्वज ही है।”

🟠 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख नेता

RSS ने अब तक कई महान नेता (Leaders) दिए हैं, जिन्होंने संगठन को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

📌 प्रमुख नेता और सरसंघचालक (Sarsanghchalak):

नामकार्यकालयोगदान
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार1925–1940संस्थापक, संगठन की नींव रखी
माधव सदाशिव गोलवलकर (गुरुजी)1940–1973संगठन को पूरे भारत में फैलाया
बालासाहेब देवरस1973–1994सामाजिक सुधार और समरसता पर बल दिया
कुशाभाऊ ठाकरे1994–2000संगठनात्मक मजबूती
के. एस. सुदर्शन2000–2009आधुनिकरण और वैश्विक विस्तार
मोहन भागवत (वर्तमान)2009–अब तकसमाजिक सद्भाव और नए भारत की दिशा में काम

🟠 मोदी और RSS का संबंध

👉 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1970 के दशक में RSS से जुड़े।

  • उन्होंने पहले स्वयंसेवक के रूप में शाखा में हिस्सा लिया।
  • बाद में पूर्णकालिक प्रचारक (Prachaarak) बने।
  • राजनीति में आने से पहले वे वर्षों तक गुजरात और राष्ट्रीय स्तर पर संगठन के लिए काम करते रहे।

📌 यही वजह है कि मोदी कहते हैं –
“RSS ने मुझे राष्ट्र के लिए जीना और काम करना सिखाया।”

📊 RSS का गुरु बनाम अन्य संगठनों के गुरु

संगठनगुरु/प्रेरणा स्रोत
RSSभगवा ध्वज
आर्य समाजस्वामी दयानंद सरस्वती
ब्रह्म समाजराजा राममोहन राय
ईसाई मिशनजीसस क्राइस्ट
बौद्ध संघभगवान बुद्ध

👉 अब तक हमने जाना कि RSS में मुस्लिमों की भागीदारी कैसी है, RSS का गुरु कौन है और इसके प्रमुख नेता कौन-कौन हैं।

🟠 RSS Logo और उसका महत्व

RSS logo (प्रतीक चिन्ह) में प्रमुख रूप से भगवा ध्वज (Saffron Flag) और स्वयंसेवक की पारंपरिक वेशभूषा दिखाई देती है।

👉 RSS का आधिकारिक प्रतीक भगवा ध्वज है, जिसे संगठन का गुरु भी माना जाता है।

  • रंग: भगवा (Saffron) – त्याग, बलिदान और शौर्य का प्रतीक।
  • आकार: साधारण ध्वज, बिना किसी चित्र या चिन्ह के।
  • महत्व: यह भारतीय संस्कृति, गौरव और सनातन परंपराओं का प्रतीक है।

🔹 रोचक तथ्य:

पहले RSS के स्वयंसेवक खाकी शॉर्ट्स पहनते थे, लेकिन 2016 से उन्हें भूरी पैंट (Brown Trousers) में बदल दिया गया। यह आधुनिक समय में संगठन की बदलती छवि को दर्शाता है।

🟠 RSS Lifting – आधुनिक दौर में RSS का उभार

कई बार मीडिया रिपोर्ट्स और शोध पत्रों में यह कहा जाता है कि “RSS lifting in India”, यानी RSS का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है (Rising Influence)

📌 कारण:

  1. सदस्यता (Membership) में वृद्धि: आज RSS की लाखों शाखाएँ पूरे भारत में सक्रिय हैं।
  2. सामाजिक सेवा (Social Service): आपदा, बाढ़, भूकंप और महामारी के समय RSS स्वयंसेवक सबसे पहले मदद पहुँचाते हैं।
  3. राजनीतिक प्रभाव (Political Influence): BJP की सरकार बनने के बाद RSS की नीतियाँ और विचारधारा ज्यादा सामने आई।
  4. वैश्विक पहचान (Global Recognition): अब RSS को केवल भारत में नहीं, बल्कि विदेशों में भी एक सांस्कृतिक आंदोलन के रूप में पहचाना जाता है।

🟠 What is RSS used for?

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोग पूछते हैं – “What is RSS used for?”

👉 उत्तर:
RSS का उपयोग समाज को संगठित करने, राष्ट्रभक्ति जागृत करने और सांस्कृतिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए किया जाता है।

📌 मुख्य कार्य:

  • शाखाओं के माध्यम से अनुशासन और व्यक्तित्व विकास।
  • शिक्षा, स्वास्थ्य और आपदा राहत में सामाजिक सेवा।
  • भारतीय संस्कृति और परंपरा का संरक्षण।
  • राजनीतिक रूप से BJP जैसे संगठनों को वैचारिक आधार देना।

🟠 RSS Feed – डिजिटल युग में RSS

आज के समय में “RSS feed” शब्द का मतलब Really Simple Syndication (टेक्नोलॉजी) भी होता है, लेकिन जब लोग RSS in Hindi सर्च करते हैं तो वे “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ” की जानकारी चाहते हैं।

👉 संघ ने भी डिजिटल माध्यमों को अपनाया है:

  • वेबसाइट और न्यूज़ पोर्टल्स पर RSS feed उपलब्ध कराई जाती है।
  • सोशल मीडिया के जरिए संगठन के विचार और गतिविधियाँ साझा की जाती हैं।
  • विद्या भारती, सेवा भारती, भारतीय मजदूर संघ जैसे संगठनों की ऑनलाइन उपस्थिति लगातार बढ़ रही है।

📊 RSS का पारंपरिक बनाम आधुनिक स्वरूप

पहलू (Aspect)पारंपरिक RSSआधुनिक RSS
वेशभूषाखाकी शॉर्ट्सभूरे रंग की पैंट
शाखा गतिविधिप्रार्थना, खेलप्रार्थना + डिजिटल चर्चा
संचार माध्यमआमने-सामनेसोशल मीडिया, RSS feed
प्रभावक्षेत्रीयराष्ट्रीय और वैश्विक

👉 अब तक हमने समझा कि RSS logo का महत्व क्या है, RSS का उभार (RSS lifting) कैसे हो रहा है और RSS feed व आधुनिक तकनीक का संगठन कैसे उपयोग करता है।

🟠 RSS FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

❓ RSS का फुल फॉर्म क्या है?

👉 RSS का फुल फॉर्म है “Rashtriya Swayamsevak Sangh” (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ)
यह 1925 में डॉ. हेडगेवार द्वारा स्थापित एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन है।

❓ RSS का गुरु कौन है?

👉 RSS का गुरु कोई व्यक्ति नहीं बल्कि “भगवा ध्वज” है।

  • यह ध्वज त्याग, बलिदान और संस्कारों का प्रतीक है।
  • संघ की हर शाखा में “गुरु दक्षिणा” केवल भगवा ध्वज को अर्पित की जाती है।

❓ RSS और BJP का संबंध क्या है?

👉 RSS सीधे राजनीति में भाग नहीं लेता, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (BJP) उसकी वैचारिक शाखा मानी जाती है।

  • 1951 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ बनाया, जो आगे चलकर BJP बना।
  • भाजपा के कई प्रमुख नेता जैसे अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, नरेंद्र मोदी RSS पृष्ठभूमि से जुड़े रहे हैं।

❓ क्या RSS में मुस्लिम भी शामिल हो सकते हैं?

👉 हाँ ✅, संघ का दरवाज़ा सभी भारतीय नागरिकों के लिए खुला है।

  • कई मुस्लिम समुदाय के लोग मिलन केंद्रों और सामाजिक सेवा कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
  • RSS का मानना है कि “हर भारतीय पहले हिंदू संस्कृति का हिस्सा है,” चाहे उसका धर्म कोई भी हो।

❓ क्या RSS प्रचारकों को सैलरी मिलती है?

👉 नहीं ❌, RSS प्रचारक किसी तरह की सैलरी नहीं लेते।

  • वे स्वेच्छा से अपना जीवन राष्ट्र और समाज की सेवा को समर्पित करते हैं।
  • उनके भोजन, आवास आदि की व्यवस्था समाज या स्थानीय शाखाएँ करती हैं।

❓ RSS की शाखाएँ कब और कैसे लगती हैं?

👉 RSS शाखाएँ आमतौर पर सुबह या शाम को खुली जगहों पर लगती हैं।

  • इसमें प्रार्थना, खेल, व्यायाम, देशभक्ति गीत और बौद्धिक चर्चा होती है।
  • किसी भी व्यक्ति को शाखा में शामिल होने के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ता।

❓ RSS का सबसे बड़ा योगदान क्या है?

👉 RSS का सबसे बड़ा योगदान है –

  • सामाजिक एकता (Social Unity)
  • आपदा राहत (Disaster Relief)
  • शिक्षा व सेवा प्रकल्प (Education & Service Projects)
  • सांस्कृतिक जागरण (Cultural Renaissance)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) आज केवल एक संगठन नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा का प्रतीक बन चुका है।
1925 से शुरू होकर आज तक RSS ने समाज सेवा, राष्ट्रभक्ति और भारतीय परंपराओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

👉 RSS का focus हमेशा व्यक्ति निर्माण और समाज संगठन पर रहा है।
👉 चाहे आपदा राहत, शिक्षा का प्रसार, या राष्ट्रीय चेतना जागरण हो – RSS ने हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
👉 आलोचना और विवादों के बावजूद RSS ने अपने काम और समर्पण से यह सिद्ध किया है कि यह संगठन केवल राजनीति से परे जाकर समाज सुधार और राष्ट्र निर्माण के लिए कार्यरत है।

📌 अगर भारत को एक मजबूत और संगठित राष्ट्र बनाना है, तो RSS जैसी संस्थाओं की भूमिका हमेशा अहम रहेगी।

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👉 नीचे Comment करके बताइए –
“आपके अनुसार RSS का भारत के समाज पर सबसे बड़ा प्रभाव क्या है?”

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