जॉर्ज सोरोस विवाद और आरोप का नाम विश्व राजनीति, अर्थव्यवस्था और सामाजिक आंदोलनों में लगातार गूंजता रहा है। उन्हें एक फाइनेंशियल जीनियस (Financial Genius) माना जाता है, लेकिन साथ ही उन पर यह भी आरोप लगता है कि वे अपनी फाउंडेशन और फंडिंग नेटवर्क के जरिए अलग-अलग देशों में अस्थिरता (Instability) फैलाते हैं।

कई बार यह सवाल उठता है कि जॉर्ज सोरोस कौन है, उन्होंने इतना धन कैसे कमाया और आखिर उन्हें दुनिया भर में विवादों और आरोपों से क्या फायदा होता है? इस लेख में हम इन्हीं सवालों का जवाब तथ्यों, उदाहरणों और प्रमाणों के साथ समझेंगे।
Table of Contents (TOC)
- जॉर्ज सोरोस कौन है? (George Soros Story + Education + Books)
- जॉर्ज सोरोस ने पैसा कैसे कमाया? (How did George Soros make his money)
- सोरोस फाउंडेशन और संगठनों की भूमिका (George Soros organizations founded)
- भारत में जॉर्ज सोरोस (जॉर्ज सोरोस इंडिया + राहुल गांधी link)
- दुनिया में अस्थिरता फैलाने के आरोप
- सोरोस को इससे क्या फायदा होता है?
- विवाद और आलोचना (Criticism & Allegations)
- FAQs
- निष्कर्ष (Conclusion)
जॉर्ज सोरोस कौन है?
जॉर्ज सोरोस का जन्म 12 अगस्त 1930 को हंगरी (Hungary) की राजधानी बुडापेस्ट में हुआ था। द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) के समय वे यहूदी परिवार से थे और नाज़ी शासन के दौरान उन्हें और उनके परिवार को अपनी पहचान छिपानी पड़ी। इस कठिन दौर ने उनके जीवन और सोच पर गहरा असर डाला।
शिक्षा (George Soros Education)
- युद्ध के बाद जॉर्ज सोरोस इंग्लैंड चले गए।
- उन्होंने London School of Economics से पढ़ाई की।
- यहां उन्होंने मशहूर दार्शनिक Karl Popper से प्रेरणा ली, जिनके विचार “Open Society” के नाम से जाने जाते हैं।
- बाद में यही विचार उनके NGO नेटवर्क और Open Society Foundations का आधार बने।
किताबें (George Soros Books)
जॉर्ज सोरोस ने कई किताबें लिखी हैं जिनमें उन्होंने अर्थशास्त्र, राजनीति और समाज पर अपने विचार साझा किए। इनमें प्रमुख हैं:
- The Alchemy of Finance
- Open Society: Reforming Global Capitalism
- The Tragedy of the European Union
इन किताबों से यह साफ होता है कि Soros खुद को सिर्फ एक निवेशक नहीं बल्कि एक वैचारिक योद्धा (Ideological Warrior) मानते हैं, जो दुनिया को अपने नजरिए से बदलना चाहते हैं।
जॉर्ज सोरोस ने पैसा कैसे कमाया? (How did George Soros make his money)
जॉर्ज सोरोस को दुनिया का सबसे सफल हेज फंड मैनेजर (Hedge Fund Manager) कहा जाता है। उनकी सफलता का सबसे बड़ा कारण है – उनका स्पेकुलेशन (Speculation) यानी मुद्रा और शेयर बाजार की सही समय पर भविष्यवाणी करना और बड़े स्तर पर दांव लगाना।
1992 का “Black Wednesday” और ब्रिटिश पाउंड पर हमला
- सितंबर 1992 को ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था गहरे संकट में थी।
- उस समय ब्रिटिश पाउंड यूरोपियन एक्सचेंज रेट मैकेनिज्म (ERM) से जुड़ा हुआ था।
- सोरोस ने अपने हेज फंड के जरिए अनुमान लगाया कि ब्रिटिश पाउंड अपनी वैल्यू नहीं बचा पाएगा।
- उन्होंने 10 बिलियन डॉलर से ज्यादा का दांव लगाया और पाउंड को शॉर्ट-सेल कर दिया।
- नतीजा: पाउंड की कीमत धड़ाम से गिर गई और ब्रिटिश सरकार को हार माननी पड़ी।
👉 इस घटना से सोरोस ने 1 बिलियन डॉलर एक ही दिन में कमा लिए।
तभी से उन्हें “The Man Who Broke the Bank of England” कहा जाने लगा।
हेज फंड और निवेश रणनीति
- 1970 में सोरोस ने अपना Quantum Fund शुरू किया।
- इस फंड ने 30 सालों तक औसतन 30% से ज्यादा वार्षिक रिटर्न दिया।
- सोरोस की रणनीति थी –
- Global market trends पर नज़र रखना
- Currency manipulation करना
- High-risk, high-reward bets लगाना
नेट वर्थ (George Soros Net Worth)
- Forbes के अनुसार सोरोस की कुल संपत्ति लगभग \$6.7 Billion (2024) है।
- हालांकि उन्होंने अपनी संपत्ति का बहुत बड़ा हिस्सा अपनी फाउंडेशन और NGOs को दान कर दिया है।
- फिर भी उनकी पहचान एक सुपर-रिच फाइनेंशियल इन्फ्लुएंसर के रूप में है।
📌 तालिका (Comparison Table): Soros vs अन्य बड़े निवेशक
| निवेशक (Investor) | मुख्य पहचान (Identity) | Net Worth (2024) | सबसे बड़ी उपलब्धि (Achievement) |
|---|---|---|---|
| जॉर्ज सोरोस | हेज फंड मैनेजर, Open Society Foundations | \$6.7 Billion | ब्रिटिश पाउंड को 1992 में गिराकर \$1B कमाया |
| वॉरेन बफेट (Warren Buffet) | वैल्यू इन्वेस्टर, Berkshire Hathaway | \$134 Billion | लंबे समय तक स्थिर वैल्यू इन्वेस्टिंग से संपत्ति अर्जित |
| एलन मस्क (Elon Musk) | Tesla, SpaceX | \$230 Billion+ | टेक्नोलॉजी और स्पेस सेक्टर में क्रांति |
सोरोस फाउंडेशन और संगठनों की भूमिका (George Soros Organizations Founded)
जॉर्ज सोरोस ने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा NGOs और Foundations के जरिए खर्च किया। उन्होंने जिन संगठनों की स्थापना की, वे आज दुनिया भर में सक्रिय हैं और उनके काम को लेकर सबसे ज्यादा विवाद (Controversy) होता है।
Open Society Foundations (OSF)
- 1979 में सोरोस ने पहली बार स्कॉलरशिप देकर हंगरी के छात्रों को विदेश में पढ़ाई के लिए भेजा।
- इसके बाद 1984 में उन्होंने Open Society Foundations (OSF) की स्थापना की।
- आज यह संगठन 100 से ज्यादा देशों में काम करता है।
- OSF का मकसद बताया जाता है – Democracy, Human Rights और Freedom को बढ़ावा देना।
👉 लेकिन आलोचकों के अनुसार, यह फाउंडेशन लोकतंत्र की आड़ में राजनीतिक हस्तक्षेप और अस्थिरता फैलाने का काम करता है।
मुख्य काम और गतिविधियाँ
- NGO Funding:
- OSF ने हजारों NGOs को फंडिंग दी है।
- कई देशों ने इन्हें Foreign Influence और Regime Change Agenda से जोड़ा है।
- Media और Journalism Support:
- सोरोस की फाउंडेशन स्वतंत्र पत्रकारिता को सपोर्ट करने के नाम पर कई मीडिया हाउस और ऑनलाइन पोर्टल्स को फंड करती है।
- आरोप है कि ये मीडिया आउटलेट्स सोरोस की विचारधारा को आगे बढ़ाते हैं।
- Political Campaigns और Protests:
- अमेरिका से लेकर यूरोप और एशिया तक कई बड़े विरोध प्रदर्शनों (Protests) में सोरोस फाउंडेशन का नाम जुड़ चुका है।
- उदाहरण: Arab Spring, Black Lives Matter, Eastern Europe Revolutions।
विवादित भूमिका (Controversial Role)
- हंगरी (Hungary): प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन ने सोरोस पर आरोप लगाया कि वे मुस्लिम प्रवासियों (Muslim Migrants) को बढ़ावा देकर यूरोप की जनसंख्या और संस्कृति बदलना चाहते हैं।
- रूस (Russia): व्लादिमीर पुतिन ने OSF को “National Security Threat” बताते हुए बैन कर दिया।
- अमेरिका (USA): डोनाल्ड ट्रंप और रिपब्लिकन पार्टी के कई नेताओं ने सोरोस पर Democrats और Leftist agenda को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
📌 तालिका: जॉर्ज सोरोस की फाउंडेशन और प्रभाव वाले क्षेत्र
| संगठन / Network | काम का दावा (Official Aim) | आरोप (Accusations) |
|---|---|---|
| Open Society Foundations | Democracy, Human Rights, Education | राजनीतिक हस्तक्षेप, Protests को फंडिंग |
| NGO Network (100+ देशों में) | स्वतंत्रता और पारदर्शिता | सरकार विरोधी आंदोलनों को समर्थन |
| Media Funding Programs | Independent Journalism | Narrative control और पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग |
👉 साफ है कि George Soros organizations founded का असर सिर्फ समाजसेवा तक सीमित नहीं है, बल्कि कई देशों में इन्हें सत्ता परिवर्तन (Regime Change) और राजनीतिक instability से जोड़ा जाता है।
भारत में जॉर्ज सोरोस (जॉर्ज सोरोस इंडिया + राहुल गांधी link)
जॉर्ज सोरोस का नाम भारत की राजनीति में कई बार गूंज चुका है। उनकी Open Society Foundations भारत में भी सक्रिय रही है और यहां के राजनीतिक माहौल पर उनके बयानों और गतिविधियों को लेकर काफी विवाद हुए हैं।
भारत पर सोरोस के बयान (George Soros India)
- 2020 में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum, Davos) में जॉर्ज सोरोस ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी नीतियों पर सीधा हमला बोला।
- उन्होंने कहा कि “भारत में लोकतंत्र खतरे में है और नरेंद्र मोदी सबसे बड़े लोकतांत्रिक चैलेंज हैं।”
- सोरोस ने दावा किया कि भारत की नीतियों से अल्पसंख्यक समुदायों को खतरा है।
👉 इस बयान को भारत में सीधे तौर पर राजनीतिक दखल माना गया।
राहुल गांधी और विपक्ष से कनेक्शन (George Soros Rahul Gandhi)
- जॉर्ज सोरोस ने कहा कि भारत में बदलाव लाने के लिए लोकतांत्रिक विपक्ष (Democratic Opposition) को मजबूत करना होगा।
- कई भारतीय विश्लेषकों का मानना है कि यह इशारा राहुल गांधी और विपक्षी दलों की ओर था।
- भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि सोरोस भारत विरोधी ताकतों को समर्थन देते हैं।
सोरोस फाउंडेशन पर भारत सरकार की कार्रवाई
- भारत सरकार ने Foreign Contribution Regulation Act (FCRA) के तहत कई NGOs की जांच की जो सोरोस की फाउंडेशन से फंडिंग ले रहे थे।
- कई संगठनों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए।
- आरोप: ये NGOs मानवाधिकार और लोकतंत्र के नाम पर भारत में सरकारी नीतियों का विरोध और अस्थिरता पैदा करने का काम कर रहे थे।
भारत में जॉर्ज सोरोस के प्रभाव
- मोदी सरकार पर लोकतंत्र और अल्पसंख्यक विरोधी होने का आरोप लगाया।
- विपक्ष (विशेषकर राहुल गांधी) के लिए अप्रत्यक्ष समर्थन जताया।
- भारतीय NGOs को फंडिंग के जरिए राजनीति में हस्तक्षेप के आरोप।
- भारत सरकार ने कई NGOs पर FCRA के तहत कड़ी कार्रवाई की।
👉 यानी, भारत में जॉर्ज सोरोस विवाद और आरोप सीधे तौर पर राजनीति से जुड़े हैं।
उनकी फाउंडेशन + बयानबाजी को भारत की संप्रभुता और लोकतांत्रिक व्यवस्था में दखल माना जाता है।
दुनिया में अस्थिरता फैलाने के आरोप
जॉर्ज सोरोस को कई देशों में “Political Manipulator” (राजनीतिक操纵 करने वाला) कहा गया है। उनकी Open Society Foundations और NGO नेटवर्क को लेकर यह आरोप बार-बार उठे हैं कि वे लोकतंत्र और मानवाधिकार की आड़ में देशों की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप करते हैं।
हंगरी (Hungary)
- सोरोस का अपना जन्मस्थान हंगरी ही उनके सबसे बड़े विरोध का केंद्र बन गया।
- प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन (Viktor Orbán) ने कहा कि सोरोस यूरोप की ईसाई पहचान को खत्म करके मुस्लिम प्रवासियों (Muslim Migrants) को बसाना चाहते हैं।
- 2017 में हंगरी सरकार ने “Stop Soros Law” पास किया, जिससे उनके NGOs को फंडिंग देना अपराध माना गया।
रूस (Russia)
- रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोरोस और उनकी फाउंडेशन पर रंग क्रांति (Color Revolutions) को समर्थन देने का आरोप लगाया।
- रूस में OSF और Soros-backed NGOs को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताकर बैन कर दिया गया।
अमेरिका (USA)
- अमेरिका में सोरोस लगातार Democratic Party को फंडिंग करते रहे हैं।
- रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं ने उन पर आरोप लगाया कि वे Black Lives Matter (BLM) और Anti-Trump Protests में करोड़ों डॉलर खर्च कर रहे हैं।
- आरोप: सोरोस अमेरिका की राजनीति को Leftist और Liberal Agenda की ओर मोड़ना चाहते हैं।
यूरोप (Europe)
- यूरोप के कई देशों में सोरोस पर आरोप है कि उन्होंने Refugee Crisis को बढ़ावा दिया।
- आरोप है कि उन्होंने NGOs के जरिए प्रवासी (Migrants) समर्थक नीतियों पर दबाव डलवाया।
- इससे कई देशों की राष्ट्रीय पहचान (National Identity) और सुरक्षा पर संकट आया।
Soros Accusations in Different Countries
- Hungary – Migrants को बढ़ावा देने और संस्कृति बदलने का आरोप।
- Russia – Regime Change और Color Revolutions को फंडिंग।
- USA – Democrats, Protests और Anti-Trump Movements को पैसा।
- Europe – Refugee Crisis को बढ़ावा देकर अस्थिरता।
👉 इन केस स्टडीज़ से यह साफ होता है कि जॉर्ज सोरोस विवाद और आरोप केवल भारत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनका वैश्विक पैमाना (Global Scale) है।
हर जगह उन पर राजनीतिक हस्तक्षेप, समाज में असंतोष फैलाने और सत्ता परिवर्तन में दखल का आरोप लगाया गया है।
सोरोस को इससे क्या फायदा होता है?
कई लोग पूछते हैं – अगर जॉर्ज सोरोस पर बार-बार यह आरोप लगता है कि वे दुनिया में अस्थिरता फैलाते हैं, तो उन्हें इससे फायदा (Benefit) क्या होता है? इसका जवाब तीन स्तरों पर समझा जा सकता है – आर्थिक, राजनीतिक और वैचारिक।
1. आर्थिक लाभ (Financial Benefit)
- सोरोस की पहचान एक Currency Speculator के रूप में है।
- जब किसी देश की अर्थव्यवस्था या मुद्रा संकट में होती है, तो यह Currency Short Selling और Hedge Fund Bets के लिए बेहतरीन अवसर बनता है।
- उदाहरण: ब्रिटिश पाउंड संकट (1992) – जब ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था गिरी तो सोरोस ने \$1 Billion कमाए।
- यानी, अगर किसी देश में Instability (अस्थिरता) आती है, तो बाजार में उतार-चढ़ाव से सोरोस को सीधा फायदा हो सकता है।
2. राजनीतिक प्रभाव (Political Influence)
- NGOs और Foundations के जरिए सोरोस खुद को “Global Democracy Defender” के रूप में पेश करते हैं।
- लेकिन कई देश मानते हैं कि यह असल में सत्ता परिवर्तन (Regime Change) और राजनीतिक दलों को प्रभावित करने की कोशिश होती है।
- इससे वे उन सरकारों और नेताओं को कमजोर करते हैं, जो उनके Globalist Agenda के खिलाफ खड़े होते हैं।
3. वैचारिक (Ideological) लाभ
- सोरोस खुद को Open Society (खुला समाज) का पैरोकार बताते हैं।
- वे मानते हैं कि “कोई भी देश या सरकार अगर ज्यादा ताकतवर हो जाती है तो उसे चुनौती देना जरूरी है।”
- उनके लिए यह वैचारिक जीत है कि वे अलग-अलग देशों में अपनी सोच को बढ़ावा दें।
सोरोस को क्या फायदा?
- आर्थिक (Economic): Instability से Currency Trading और Investments में अरबों डॉलर का मुनाफा।
- राजनीतिक (Political): सरकारों को कमजोर करके Global Influence बढ़ाना।
- वैचारिक (Ideological): Open Society और Liberal Agenda को मजबूत करना।
👉 साफ है कि जॉर्ज सोरोस विवाद और आरोप केवल किसी देश तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह उनके लिए एक Multi-Benefit Strategy है – जहां पैसा, राजनीति और विचारधारा तीनों स्तरों पर उन्हें फायदा मिलता है।
विवाद और आलोचना (Criticism & Allegations)
जॉर्ज सोरोस को लेकर दुनिया भर में अलग-अलग सरकारों, नेताओं और मीडिया ने गंभीर आरोप लगाए हैं।
हालांकि वे खुद को “मानवाधिकार और लोकतंत्र के रक्षक” के रूप में प्रस्तुत करते हैं, लेकिन आलोचकों के अनुसार उनका असली मकसद राजनीतिक नियंत्रण और अस्थिरता फैलाना है।
सरकारों की आलोचना
- हंगरी: प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन ने सोरोस को “यूरोप की संप्रभुता के लिए खतरा” बताया।
- रूस: व्लादिमीर पुतिन ने उनकी फाउंडेशन को “राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा” कहकर बैन किया।
- अमेरिका: रिपब्लिकन नेताओं ने उन्हें Democrats का छिपा हुआ फाइनेंसर करार दिया।
- भारत: मोदी सरकार ने उनके NGO नेटवर्क पर विदेशी दखल और राजनीतिक अस्थिरता फैलाने का आरोप लगाया।
मीडिया और पब्लिक आलोचना
- अमेरिकी और यूरोपीय मीडिया में अक्सर उन्हें “Global Puppet Master” (वैश्विक कठपुतली संचालक) कहा गया।
- सोशल मीडिया पर उन्हें कई बार प्रोटेस्ट और आंदोलन के पीछे का फंडर बताया गया।
- कई साजिश सिद्धांतों (Conspiracy Theories) में उन्हें वैश्विक New World Order से जोड़ा गया।
सोरोस का पक्ष (Soros Defense)
- सोरोस का कहना है कि वे केवल मानवाधिकार, शिक्षा और लोकतंत्र को बढ़ावा देते हैं।
- वे आरोपों को “राजनीतिक प्रचार” बताते हैं।
- उनका दावा है कि जिन सरकारों को उनकी आलोचना से परेशानी होती है, वही उनके खिलाफ दुष्प्रचार करती हैं।
Allegations vs Defense (तालिका)
| आरोप (Allegation) | सोरोस का पक्ष (Defense) |
|---|---|
| राजनीतिक हस्तक्षेप (Political Interference) | लोकतंत्र और पारदर्शिता को बढ़ावा देना |
| मुद्रा और अर्थव्यवस्था को अस्थिर करना (Currency Manipulation) | Free Market Strategy और Investment Decisions |
| NGOs के जरिए विरोध प्रदर्शनों को हवा देना | Civil Society को मजबूत करने के लिए समर्थन देना |
| ग्लोबल एजेंडा थोपना (Globalist Agenda) | मानवाधिकार और Open Society की विचारधारा को बढ़ावा देना |
👉 यानी, जॉर्ज सोरोस विवाद और आरोप दो पहलुओं वाले हैं –
- एक तरफ वे मानवाधिकार और लोकतंत्र के समर्थक बनकर सामने आते हैं।
- दूसरी तरफ उनके खिलाफ कई देशों की सरकारें उन्हें अस्थिरता फैलाने वाला और Global Manipulator मानती हैं।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
1. जॉर्ज सोरोस कौन हैं?
👉 जॉर्ज सोरोस एक हंगरी-अमेरिकी अरबपति निवेशक, हेज फंड मैनेजर और Open Society Foundations के संस्थापक हैं। वे दुनिया के सबसे बड़े परोपकारियों (Philanthropists) में से एक हैं।
2. सोरोस को “Black Wednesday” से क्यों जोड़ा जाता है?
👉 1992 में ब्रिटिश पाउंड की वैल्यू गिराने (Currency Speculation) से सोरोस ने एक ही दिन में \$1 Billion कमाए। इसी वजह से उन्हें “The Man Who Broke the Bank of England” कहा गया।
3. भारत में सोरोस को लेकर विवाद क्यों है?
👉 भारत सरकार का आरोप है कि सोरोस अपनी फाउंडेशन और NGO नेटवर्क के जरिए यहाँ की आंतरिक राजनीति और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।
4. क्या सोरोस वास्तव में “Global Manipulator” हैं?
👉 यह बहस का विषय है।
- आलोचकों के अनुसार, वे मुद्रा बाजार और NGOs के जरिए सत्ता परिवर्तन (Regime Change) कराते हैं।
- लेकिन सोरोस खुद को मानवाधिकार और लोकतंत्र का पैरोकार मानते हैं।
5. जॉर्ज सोरोस को सबसे ज्यादा आलोचना कहाँ से मिलती है?
👉 उन्हें सबसे ज्यादा विरोध रूढ़िवादी (Conservative) सरकारों और नेताओं से मिलता है – जैसे हंगरी, रूस, अमेरिका के कुछ रिपब्लिकन और भारत में मोदी सरकार।
सोरोस को लेकर दुनिया दो हिस्सों में बंटी हुई है –
- एक तरफ लोग उन्हें “मानवाधिकार और लोकतंत्र का दूत” मानते हैं।
- दूसरी तरफ आलोचक उन्हें “वैश्विक अस्थिरता और राजनीति के सबसे बड़े खिलाड़ी” के रूप में देखते हैं।
जॉर्ज सोरोस की कहानी एक ऐसे इंसान की है जिसने गरीबी और युद्धग्रस्त बचपन से निकलकर अरबों डॉलर की संपत्ति बनाई और उसे मानवाधिकार व लोकतंत्र के लिए खर्च किया।
लेकिन, उनकी छवि सिर्फ परोपकारी तक सीमित नहीं रही — वे राजनीतिक विवादों और षड्यंत्र सिद्धांतों के केंद्र भी बने।👉 सोरोस की असली ताकत सिर्फ उनकी दौलत में नहीं, बल्कि उस विचारधारा में है जिसे वे आगे बढ़ाते हैं –
“Open Society” यानी खुला समाज, जहाँ पारदर्शिता, लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सबसे ऊपर हो।हालाँकि, यह विचारधारा हर देश और सरकार के लिए स्वीकार्य नहीं है।
- कुछ के लिए वे “आशा और स्वतंत्रता की आवाज़” हैं।
- तो कुछ के लिए वे “वैश्विक साज़िश के सूत्रधार”।
📌 अंततः, जॉर्ज सोरोस का जीवन हमें यह सिखाता है कि –
“एक व्यक्ति, अपनी सोच और संसाधनों से, पूरी दुनिया की राजनीति और समाज को हिला सकता है।”
