दुनिया में जब भी तानाशाही (Dictatorship) और निर्दय शासकों की चर्चा होती है, तो नाम आता है हिटलर, मुसोलिनी या स्टालिन का। लेकिन आधुनिक दौर में एक ऐसा शासक है जिसकी क्रूरता (Cruelty) सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं – और वो है उत्तर कोरिया का तानाशाह किम जोंग उन (Kim Jong Un)।

किम जोंग उन की क्रूरता इतनी भयावह है कि उसने सत्ता बचाने के लिए अपने चाचा, बुआ, फूफा और कई अफसरों को मौत के घाट उतार दिया। कहा जाता है कि कुछ मामलों में उसने विरोधियों को जिंदा कुत्तों के आगे फेंक दिया, तो कभी परिवार के ही लोगों को विमान से उड़वा दिया।
आज के इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे –
- किम जोंग उन का परिवार और बचपन
- उसकी शिक्षा और विदेश में जीवन
- सत्ता संभालने के बाद रिश्तेदारों की हत्या
- उत्तर कोरिया के अजीब कानून और निर्दय फरमान
- और आखिर क्यों पूरी दुनिया उसे आधुनिक समय का सबसे क्रूर तानाशाह मानती है।
यह लेख आपको सिर्फ इतिहास नहीं बताएगा, बल्कि उस तानाशाही हकीकत से भी रूबरू कराएगा जिसे जानकर आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि क्या 21वीं सदी में भी इंसानियत इतनी कमजोर हो सकती है?
किम जोंग उन का परिवार और शुरुआती जीवन
किम जोंग उन का जन्म 8 जनवरी 1983 (कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार 1984) को प्योंगयांग, उत्तर कोरिया में हुआ था। उसके पिता थे किम जोंग इल, जो 1994 से 2011 तक देश के सर्वोच्च नेता रहे। वहीं उसके दादा किम इल सुंग उत्तर कोरिया के संस्थापक थे।
परिवार की पृष्ठभूमि बेहद शक्तिशाली रही –
- दादा → संस्थापक और पहले सर्वोच्च नेता
- पिता → दूसरे सर्वोच्च नेता
- बेटा किम जोंग उन → तीसरे सर्वोच्च नेता
लेकिन इस सत्ता ने किम को बचपन से ही यह सिखा दिया था कि ताकत से बड़ा कोई कानून नहीं।
कहा जाता है कि किम जोंग इल (उसके पिता) की कई पत्नियाँ और प्रेमिकाएँ थीं। किम जोंग उन उनकी तीसरी पत्नी को योंग-हुई से पैदा हुआ बेटा था। परिवार में अन्य भाई-बहन भी थे, लेकिन सत्ता का वारिस उसी को चुना गया।
👉 रोचक तथ्य:
उत्तर कोरिया ने कभी उसकी सही जन्मतिथि और शुरुआती जीवन के बारे में आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की। यही कारण है कि दुनिया भर के शोधकर्ताओं और मीडिया को उसके बचपन के बारे में केवल कुछ चुनिंदा रिपोर्ट्स और सूत्रों पर निर्भर रहना पड़ता है।
बचपन से ही उसे “राजनीतिक उत्तराधिकारी” की तरह पाला गया। आम बच्चों की तरह खेलने-कूदने की आज़ादी नहीं थी, बल्कि सेना और राजनीति के माहौल में उसका पालन-पोषण हुआ।
किम जोंग उन की शिक्षा और विदेश प्रवास
उत्तर कोरिया की तरह ही किम जोंग उन की शिक्षा भी रहस्यों से भरी हुई है। उसके शुरुआती जीवन की तरह ही पढ़ाई के बारे में भी बहुत कम आधिकारिक जानकारी उपलब्ध है।
स्विट्ज़रलैंड में पढ़ाई
कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि किम जोंग उन ने अपनी स्कूली शिक्षा का एक बड़ा हिस्सा स्विट्ज़रलैंड में बिताया।
- उसने 1993 से 1998 तक इंटरनेशनल स्कूल ऑफ बर्न (International School of Bern) में पढ़ाई की।
- वहां उसने “Pak Chol” या “Chol Pak” नाम से दाखिला लिया था ताकि उसकी असली पहचान छिपी रहे।
- यह एक अंग्रेजी माध्यम का स्कूल था, जहाँ उसे यूरोपीय संस्कृति और पढ़ाई का अनुभव मिला।
👉 रोचक बात यह है कि स्कूल के शिक्षकों ने बाद में बताया कि किम एक शर्मीला और अंतर्मुखी छात्र था। उसे बास्केटबॉल खेलना बेहद पसंद था और उसका सबसे पसंदीदा खिलाड़ी था NBA स्टार माइकल जॉर्डन।
जर्मन भाषा की पढ़ाई
1998 से 2000 के बीच किम ने बर्न में ही जर्मन लैंग्वेज स्कूल (German Language School) में पढ़ाई की। यहाँ भी उसने अपनी पहचान गुप्त रखी।
वापसी उत्तर कोरिया
साल 2001 में किम जोंग उन अपने देश उत्तर कोरिया लौट आया।
- लौटने के बाद उसने प्योंगयांग के मिलिट्री यूनिवर्सिटी (Kim Il-sung National War College) में दाखिला लिया।
- 2002 से 2007 तक वह वहीं रहा, लेकिन पढ़ाई का बड़ा हिस्सा घर पर ही होता था।
विदेश प्रवास से मिला सबक
विदेश में पढ़ाई करने के बावजूद किम जोंग उन का व्यक्तित्व पश्चिमी लोकतंत्र से प्रभावित नहीं हुआ।
बल्कि, उसने वहां से सीखा –
- आधुनिक तकनीक और शिक्षा का महत्व
- लेकिन सत्ता और तानाशाही को छोड़ना नहीं
यानी, उसने पश्चिमी दुनिया से सुविधाओं और तकनीक को अपनाया, लेकिन लोकतांत्रिक मूल्यों को पूरी तरह खारिज कर दिया।
सत्ता में किम जोंग उन का उदय
पिता की मृत्यु और सत्ता का वारिस
17 दिसंबर 2011 को किम जोंग इल (Kim Jong Il) यानी किम जोंग उन के पिता की मृत्यु हो गई। यह उत्तर कोरिया के लिए बहुत बड़ा झटका था, क्योंकि देश लगभग दो दशकों तक उनके नियंत्रण में रहा था।
मात्र 28 साल की उम्र में किम जोंग उन को देश का सर्वोच्च नेता (Supreme Leader) घोषित कर दिया गया।
- 28 दिसंबर 2011 को आधिकारिक रूप से उसे सत्ता सौंपी गई।
- उस समय बहुत से राजनीतिक विश्लेषकों ने सोचा था कि इतनी कम उम्र का यह शख्स शायद लंबे समय तक सत्ता नहीं संभाल पाएगा।
- लेकिन किम जोंग उन ने जल्द ही साबित कर दिया कि वह सत्ता को किसी भी कीमत पर बचाए रखने के लिए हर हद पार कर सकता है।
शुरुआती चुनौतियाँ
सत्ता संभालते ही किम को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा:
- वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों का विरोध
- अपने भाई-बहनों और परिवार में सत्ता की खींचतान
- दुनिया के बाकी देशों से लगातार अलगाव
- आर्थिक संकट और भूखमरी की स्थिति
निर्दय फैसले – डर के सहारे शासन
किम जोंग उन ने सत्ता संभालने के तुरंत बाद यह संदेश दिया कि उसके खिलाफ जाने का अंजाम “मौत” होगा।
- उसने अपने पिता के शासनकाल से जुड़े कई वरिष्ठ अधिकारियों को हटाया या मरवा दिया।
- यहां तक कि उसने अपने चाचा, फूफा और राजनीतिक विरोधियों को भी नहीं छोड़ा।
इस तरह उसने पूरे देश में डर और दहशत (Fear & Terror) का माहौल बनाकर खुद को अजेय बना लिया।
परमाणु शक्ति का प्रदर्शन
सत्ता संभालने के बाद किम जोंग उन ने यह भी साबित करने की कोशिश की कि वह न सिर्फ आंतरिक राजनीति बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अपनी ताकत दिखा सकता है।
- अप्रैल 2012 → उपग्रह लॉन्च किया (हालांकि असफल रहा)।
- दिसंबर 2012 → लंबी दूरी का रॉकेट लॉन्च किया जिसने उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया।
- फरवरी 2013 → उत्तर कोरिया ने सफल तीसरा भूमिगत परमाणु परीक्षण किया।
इन कदमों ने दुनिया को यह स्पष्ट संकेत दिया कि नया नेता न सिर्फ सत्ता बचाना चाहता है बल्कि उत्तर कोरिया को वैश्विक परमाणु शक्ति भी बनाना चाहता है।
किम जोंग उन की बीमारियां और रहस्य
उत्तर कोरिया का तानाशाह किम जोंग उन दुनिया के सबसे गुप्त नेताओं में से एक है। उसकी असली उम्र, परिवार, बच्चों और स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी हमेशा रहस्य में रखी जाती है। लेकिन विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और खुफिया एजेंसियों की लीक से यह सामने आया है कि किम गंभीर बीमारियों से पीड़ित है।
मोटापा और धूम्रपान की लत
- किम का वज़न 120 किलो से भी अधिक माना जाता है।
- उसे चेन-स्मोकर (Chain Smoker) कहा जाता है यानी वह लगातार सिगरेट पीता है।
- मोटापे और धूम्रपान की वजह से उसे उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure), मधुमेह (Diabetes) और गठिया (Arthritis) जैसी बीमारियों ने घेर रखा है।
परिवार में दिल का दौरा (Heart Attack) का इतिहास
- उसके दादा किम इल सुंग की मृत्यु दिल का दौरा (Heart Attack) से हुई थी।
- उसके पिता किम जोंग इल की मौत भी हार्ट अटैक से ही हुई।
👉 इसीलिए विशेषज्ञ मानते हैं कि किम जोंग उन भी हृदय संबंधी बीमारियों के उच्च जोखिम में है।
सार्वजनिक उपस्थिति में रहस्य
कई बार किम महीनों तक सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आता।
- 2014 में वह करीब 6 हफ्तों तक कहीं नहीं दिखा, तब कयास लगाए गए कि शायद उसकी मौत हो चुकी है।
- बाद में सामने आया कि वह गठिया और टखने की सर्जरी के कारण गायब था।
- इसी तरह 2020 में भी उसकी अचानक गैरहाजिरी ने पूरी दुनिया को चौंका दिया था।
परिवार और बच्चे
- किम जोंग उन की पत्नी का नाम है री सोल-जू (Ri Sol-ju)।
- उनके तीन बच्चे बताए जाते हैं, लेकिन सिर्फ एक बेटी किम जू-ए (Kim Ju-ae) की पहचान सार्वजनिक हुई है।
- तीसरे बच्चे का लिंग आज तक रहस्य बना हुआ है।
रहस्य क्यों बनाए जाते हैं?
उत्तर कोरिया की सरकार यह मानती है कि अगर नेता को कमजोर दिखाया गया तो जनता और दुश्मन दोनों उसका फायदा उठा सकते हैं।
👉 इसलिए किम जोंग उन अपनी बीमारियों और स्वास्थ्य समस्याओं को पूरी तरह गुप्त रखता है, ताकि जनता की नजर में उसकी “तानाशाह छवि” कभी कमजोर न पड़े।
सत्ता बचाने के लिए रिश्तेदारों की हत्या
तानाशाहों की सबसे बड़ी खासियत होती है – अपनी कुर्सी बचाने के लिए किसी भी हद तक जाना। किम जोंग उन ने भी सत्ता संभालते ही यह साफ कर दिया था कि उसके रास्ते में आने वाले चाहे अपने हों या पराए – उन्हें मौत का सामना करना पड़ेगा।
चाचा की हत्या – जांग सोंग-थेक (Jang Song-thaek)
- किम जोंग उन के पिता की मौत के बाद, उसका सबसे बड़ा सहारा उसका चाचा जांग सोंग-थेक था।
- जांग को उत्तर कोरिया की राजनीति में एक समझदार और प्रभावशाली नेता माना जाता था।
- लेकिन 2013 में अचानक किम ने उसे देशद्रोह और भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार करवा दिया।
- रिपोर्ट्स के मुताबिक, उसे भेड़ियों और कुत्तों के झुंड से मरवाया गया या मशीनगन से गोलियों की बौछार कर फांसी दी गई।
👉 यह हत्या पूरी दुनिया को यह संदेश देने के लिए थी कि सत्ता पर सिर्फ और सिर्फ किम का हक है।
सौतेले भाई की हत्या – किम जोंग नाम (Kim Jong-nam)
- किम जोंग उन का सौतेला भाई किम जोंग नाम उत्तर कोरिया का संभावित अगला नेता माना जाता था।
- लेकिन 2017 में मलेशिया के कुआलालंपुर एयरपोर्ट पर उस पर हमला हुआ।
- दो महिलाओं ने उसके चेहरे पर VX नर्व एजेंट (दुनिया का सबसे खतरनाक ज़हर) मल दिया।
- कुछ ही मिनटों में उसकी मौत हो गई।
👉 माना जाता है कि इस हत्या का सीधा आदेश किम जोंग उन ने दिया था, क्योंकि उसे डर था कि उसका भाई किसी दिन उसकी गद्दी छीन सकता है।
विरोधियों का कत्लेआम
- किम ने सिर्फ परिवार ही नहीं, बल्कि उन सभी अधिकारियों और सैन्य नेताओं को भी खत्म करवा दिया जो उसके खिलाफ खड़े हो सकते थे।
- रिपोर्ट्स बताती हैं कि उसने विरोधियों को एंटी-एयरक्राफ्ट गन से उड़वा दिया, कईयों को जिंदा जलवा दिया और कुछ को कैद शिविरों में भुखमरी से मरने के लिए भेज दिया।
जनता के बीच डर का माहौल
इन हत्याओं का एक ही मकसद था – डर और आतंक का ऐसा वातावरण बनाना, जिसमें कोई भी उसकी सत्ता को चुनौती देने की हिम्मत न कर सके।
जनता पर अत्याचार और गुलामों जैसी जिंदगी
किम जोंग उन की सत्ता में उत्तर कोरिया आज दुनिया का सबसे बंद और क्रूर देश माना जाता है। यहां की जनता की हालत किसी कंसेंट्रेशन कैंप (Concentration Camp) से कम नहीं है।
अभिव्यक्ति की आज़ादी नहीं
- उत्तर कोरिया में लोग सरकार या नेता के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोल सकते।
- किसी ने जरा सी भी आलोचना कर दी तो उसे कैद शिविरों (Prison Camps) में भेज दिया जाता है।
- इन शिविरों में लोग भुखमरी, जबरन मजदूरी और यातनाओं से मर जाते हैं।
भूख और गरीबी
- देश की अर्थव्यवस्था बेहद खराब है।
- जनता के पास खाने तक की कमी रहती है।
- 1990 के दशक में तो यहां भुखमरी से लाखों लोग मारे गए।
- आज भी कई लोग घास, पेड़ की छाल और जंगली जानवर खाकर किसी तरह जिंदा रहते हैं।
प्रचार और ब्रेनवॉशिंग
- सरकार ने देश में एक ऐसा सिस्टम बना रखा है जहां हर घर, हर स्कूल और हर दफ्तर में किम जोंग उन की तस्वीरें और नारे लगे होते हैं।
- बच्चों को बचपन से यही सिखाया जाता है कि उनका नेता भगवान से भी बड़ा है।
- टीवी, रेडियो और इंटरनेट पूरी तरह सरकार के कंट्रोल में है।
👉 यानी जनता को सिर्फ वही सुनने और देखने को मिलता है जो सरकार चाहती है।
भागने वालों की सजा
- जो लोग चीन या दूसरे देशों में भागने की कोशिश करते हैं, उन्हें पकड़कर वापस लाया जाता है।
- इन पर देशद्रोह का मुकदमा चलता है और कई बार पूरे परिवार को मौत के घाट उतार दिया जाता है।
गुलामों जैसी जिंदगी
- जनता को जबरन मजदूरी करनी पड़ती है, खासकर खदानों और फैक्ट्रियों में।
- महिलाएं और बच्चे तक इससे अछूते नहीं रहते।
- हर नागरिक को मजबूरी में सेना में भर्ती किया जाता है, ताकि नेता की सेना हमेशा सबसे बड़ी और ताकतवर दिखे।
परमाणु हथियार और दुनिया को धमकाने की राजनीति
किम जोंग उन ने अपने शासन को मजबूत बनाने और दुनिया को डराने के लिए सबसे खतरनाक रास्ता चुना – परमाणु हथियारों और मिसाइलों का निर्माण।
क्यों बनाए परमाणु हथियार?
- किम को अच्छी तरह पता है कि उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था कमजोर है और उसकी सेना आधुनिक नहीं है।
- ऐसे में परमाणु हथियार उसका सबसे बड़ा सुरक्षा कवच बन गए।
- वह इन हथियारों को दिखाकर दुनिया से अपनी ताकत मनवाना चाहता है।
परमाणु परीक्षण और मिसाइल लॉन्च
- 2011 से अब तक किम ने कई परमाणु परीक्षण करवाए हैं।
- हर साल वह लॉन्ग-रेंज मिसाइलें दागकर अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया को डराता है।
- कुछ मिसाइलें तो अमेरिका तक पहुंचने की क्षमता रखती हैं।
धमकी की राजनीति
- जब भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध (Sanctions) लगाए जाते हैं, किम नई मिसाइल टेस्ट करके दुनिया को चुनौती देता है।
- वह बार-बार कहता है कि अगर उसके देश पर हमला हुआ तो वह अपने परमाणु हथियारों से पूरी दुनिया हिला देगा।
जनता की हालत बनाम हथियारों पर खर्च
- विडंबना यह है कि जहां जनता भूख और गरीबी से जूझ रही है, वहीं किम अरबों डॉलर परमाणु हथियारों और सैन्य ताकत पर खर्च कर रहा है।
- इस वजह से अंतरराष्ट्रीय समुदाय उसे खतरनाक तानाशाह मानता है।
किम जोंग उन की कहानी सिर्फ एक शासक की नहीं है, बल्कि तानाशाही और आतंक की मिसाल है।
- उसने अपने परिवार की तानाशाही परंपरा को और ज्यादा निर्दयी बना दिया।
- जनता पर भूख, डर और प्रचार का जाल बिछाकर उन्हें गुलामों की तरह जीने पर मजबूर किया।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसने परमाणु हथियारों और मिसाइलों को हथियार बनाकर पूरी दुनिया को डराने की कोशिश की।
किम जोंग उन यह समझता है कि अगर जनता को आज़ादी और बाहर की दुनिया की असलियत पता चल गई, तो उसकी सत्ता तुरंत खत्म हो जाएगी। यही वजह है कि वह देश को लोहे की दीवारों से बंद रखता है।
क्यों खतरनाक है?
- जनता पर अत्याचार और कैद शिविर
- भूख और गरीबी में तड़पते लोग
- पूरी दुनिया को परमाणु युद्ध की धमकी
- अपने विरोधियों की निर्दयी हत्याएं
👉 यही कारण है कि किम जोंग उन को आज दुनिया का सबसे खतरनाक तानाशाह कहा जाता है।
