भारत की राजनीति में ऐसे कई चेहरे हैं जिन्होंने यह साबित किया कि गरीबी (Poverty) कोई बाधा नहीं बल्कि प्रेरणा है। कई नेता ऐसे हुए हैं जो मिट्टी के घर, भूख, और संघर्ष भरे माहौल से निकलकर देश की राजनीति की ऊँचाइयों तक पहुँचे। यही कारण है कि जब हम Top 10 गरीब भारतीय नेता (Top 10 Poor Indian Leaders) की सूची बनाते हैं तो यह केवल एक लेख नहीं बल्कि प्रेरणादायक जीवन गाथा बन जाती है।

यह सूची बताती है कि कैसे साधारण किसान (Farmer), मजदूर (Labourer), या चाय बेचने वाले बच्चे भी कठिन संघर्ष और जनता के विश्वास के दम पर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और बड़े नेता बने।
अगर आप जानना चाहते हैं कि कौन-कौन से गरीब भारतीय नेता (Garib Bhartiya Neta) इतिहास रच चुके हैं, तो यह लेख आपके लिए बेहद खास है।
✦ 1. नरेंद्र मोदी – चाय बेचने वाले से प्रधानमंत्री तक

🌱 बचपन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
- जन्म: 17 सितंबर 1950, वडनगर (गुजरात) में।
- परिवार: बेहद गरीब ओबीसी (OBC) परिवार।
- पिता: रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते थे।
- बचपन में मोदी जी खुद भी चाय की दुकान चलाते थे और यही उनकी गरीबी का सबसे बड़ा प्रतीक बना।
📚 शिक्षा और संघर्ष
गरीबी के बावजूद नरेंद्र मोदी ने स्कूल की पढ़ाई जारी रखी।
वे छोटी उम्र से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े और वहां से सामाजिक सेवा और अनुशासन का संस्कार पाया।
🚩 राजनीतिक सफर
- संगठनात्मक क्षमता और कड़ी मेहनत से वे 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने।
- इसके बाद 2014 में भारत के प्रधानमंत्री बने और आज तक उस पद पर बने हुए हैं।
💬 मोदी का प्रेरणादायक विचार
मोदी कई बार कहते हैं कि—
“गरीबी ने मुझे सहनशीलता और संवेदनशीलता सिखाई है, जो किसी किताब से नहीं मिल सकती।”
📌 क्यों शामिल हैं “Top 10 गरीब भारतीय नेता” की सूची में?
- क्योंकि उन्होंने गरीबी और संघर्ष को पीछे छोड़कर भारत का नेतृत्व किया।
- एक चाय बेचने वाले से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक का सफर दुनिया के लिए एक अद्भुत प्रेरणा है।
2. रामनाथ कोविंद: कच्चे घर से राष्ट्रपति भवन तक

🏡 बचपन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
भारत के इतिहास में जब हम Top 10 गरीब भारतीय नेता (Top 10 Poor Indian Leaders) की बात करते हैं, तो रामनाथ कोविंद का नाम विशेष रूप से सामने आता है।
उनका जन्म 1 अक्टूबर 1945 को कानपुर देहात (उत्तर प्रदेश) के एक छोटे से गाँव में हुआ। वे एक दलित परिवार से थे, जिनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी।
उनका घर पूरी तरह मिट्टी का बना था। बरसात के दिनों में अक्सर छत से पानी टपकता और पूरा घर गीला हो जाता था। उनके पिता कुटीर उद्योग (Cottage Industry) चलाकर परिवार का गुज़ारा करते थे। यह जीवन किसी भी बच्चे के लिए कठिन था, लेकिन कोविंद जी ने हालातों के आगे झुकने के बजाय संघर्ष से राजनीति तक का सफर तय किया।
📘 शिक्षा और शुरुआती संघर्ष
- गाँव में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कानपुर में पढ़ाई जारी रखी।
- परिवार के पास पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए पैसे नहीं थे, फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी।
- दिल्ली जाकर कानून (Law) की पढ़ाई की और वकालत शुरू की।
- उन्होंने भारतीय संविधान (Indian Constitution) पर गहरा अध्ययन किया और दलितों व पिछड़ों के अधिकारों के लिए काम किया।
उनकी यह यात्रा साबित करती है कि गरीब भारतीय नेता भी शिक्षा और मेहनत से ऊँचाइयाँ छू सकता है।
🏛 राजनीतिक करियर
रामनाथ कोविंद का राजनीतिक जीवन बेहद प्रेरणादायक रहा—
- 1994 में पहली बार राज्यसभा सदस्य बने।
- इसके बाद 2015 में बिहार के राज्यपाल नियुक्त हुए।
- 2017 में उन्होंने वह मुकाम हासिल किया जिसकी शायद ही कभी किसी गरीब परिवार के बच्चे ने कल्पना की हो—वे भारत के 14वें राष्ट्रपति बने।
यह यात्रा यह साबित करती है कि गरीब पृष्ठभूमि के राजनीतिक नेता भी अगर समर्पण और सेवा भाव रखें तो उन्हें कोई नहीं रोक सकता।
💬 प्रेरणादायक संदेश
रामनाथ कोविंद के जीवन से हमें यह सीख मिलती है—
“गरीबी और संघर्ष आपको रोकने नहीं, बल्कि मजबूत बनाने आते हैं।”
📌 क्यों शामिल हैं “Top 10 गरीब भारतीय नेता” की सूची में?
- क्योंकि वे कच्चे मिट्टी के घर से निकलकर राष्ट्रपति भवन तक पहुँचे।
- उनका पूरा जीवन संघर्ष और सेवा की मिसाल है।
- वे हर उस भारतीय के लिए प्रेरणा हैं जो मानता है कि साधारण परिवार से भी बड़ा नेता बना जा सकता है।
3. लालू प्रसाद यादव: गरीब किसान से मुख्यमंत्री तक

🌾 बचपन और पारिवारिक स्थिति
Top 10 गरीब भारतीय नेता (Top 10 Poor Indian Leaders) की सूची में अगला नाम है लालू प्रसाद यादव का, जिनका जीवन संघर्ष और मेहनत की जीवंत मिसाल है।
लालू जी का जन्म 11 जून 1948 को फुलवरिया गाँव, गोपालगंज (बिहार) में हुआ।
उनका परिवार एक साधारण यादव किसान परिवार था, जिसकी आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी।
वे बचपन में गाय-भैंस चराते, मिट्टी के घर में रहते और गाँव की गरीबी को करीब से महसूस करते थे।
📚 शिक्षा और शुरुआती संघर्ष
- प्राथमिक शिक्षा गाँव में पूरी हुई, लेकिन आगे पढ़ाई के लिए उन्हें पटना जाना पड़ा।
- उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से कानून और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की।
- छात्र जीवन से ही वे एक बेहद लोकप्रिय छात्र नेता बन गए।
- लालू जी का व्यक्तित्व आम जनता से जुड़ा हुआ था, और शायद यही कारण था कि वे जल्दी ही बिहार की राजनीति में एक बड़ा नाम बन गए।
उनकी यह यात्रा यह दिखाती है कि एक गरीब पृष्ठभूमि का राजनीतिक नेता भी जनता से जुड़े रहकर राजनीति में शीर्ष तक पहुँच सकता है।
🏛 राजनीतिक सफर
- छात्र राजनीति से शुरुआत कर लालू जी जल्द ही लोकसभा तक पहुँच गए।
- 1990 में वे बिहार के मुख्यमंत्री बने और राज्य की राजनीति को दशकों तक प्रभावित किया।
- बाद में रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने आम जनता के लिए कई लोकप्रिय फैसले लिए।
उनका पूरा राजनीतिक करियर यह साबित करता है कि गरीब भारतीय नेता अगर जनता से जुड़े रहें, तो उन्हें सत्ता तक पहुँचने से कोई नहीं रोक सकता।
💬 लालू प्रसाद यादव की सोच
लालू यादव अक्सर कहते थे—
“मैं गरीबों और किसानों की राजनीति करता हूँ, उनकी आवाज़ उठाना ही मेरा धर्म है।”
📌 क्यों शामिल हैं “Top 10 गरीब भारतीय नेता” की सूची में?
- क्योंकि वे एक गरीब किसान परिवार से निकलकर बिहार के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बने।
- उन्होंने गरीबी, भूख और संघर्ष को पार कर मुख्यमंत्री का पद हासिल किया।
- उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि संघर्ष से राजनीति तक का सफर आज भी संभव है।
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4. डॉ. भीमराव अंबेडकर: अछूत से संविधान निर्माता तक

🌱 बचपन और सामाजिक-आर्थिक स्थिति
Top 10 गरीब भारतीय नेता (Top 10 Poor Indian Leaders) की सूची में अगला नाम है डॉ. भीमराव अंबेडकर।
उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मऊ, मध्य प्रदेश (अब मध्यप्रदेश के महू) में हुआ।
वे अत्यंत गरीब महार (दलित) परिवार में जन्मे थे।
उनके पिता सेना में सूबेदार थे, लेकिन जातिगत भेदभाव और आर्थिक तंगी ने परिवार को हमेशा परेशान किया।
डॉ. अंबेडकर बचपन में स्कूल जाते तो उन्हें पानी तक छूने नहीं दिया जाता था।
क्लास में अलग जगह बैठना पड़ता और अपमान का बोझ उठाना पड़ता।
यह गरीबी और सामाजिक अपमान उनके जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष रहा।
📚 शिक्षा और संघर्ष
- शुरुआती शिक्षा कठिनाइयों के बावजूद पूरी की।
- बड़ौदा के महाराजा की छात्रवृत्ति पाकर अमेरिका गए और कोलंबिया यूनिवर्सिटी से M.A. और Ph.D. की डिग्री हासिल की।
- बाद में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से भी पढ़ाई की और बैरिस्टर बने।
उनका शिक्षा-संघर्ष यह साबित करता है कि एक गरीब पृष्ठभूमि का राजनीतिक नेता भी मेहनत और ज्ञान से दुनिया बदल सकता है।
🏛 राजनीतिक और सामाजिक योगदान
- भारत लौटने के बाद उन्होंने दलितों और शोषित वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
- अछूतों के लिए पानी पीने और मंदिर प्रवेश आंदोलन चलाए।
- 1947 में स्वतंत्र भारत की पहली सरकार में उन्हें कानून मंत्री बनाया गया।
- वे भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता बने।
💬 विचार और प्रेरणा
डॉ. अंबेडकर का सबसे प्रसिद्ध नारा था—
“शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो।”
उन्होंने यह दिखाया कि गरीबी और भेदभाव से लड़कर भी कोई व्यक्ति देश का संविधान निर्माता बन सकता है।
📌 क्यों शामिल हैं “Top 10 गरीब भारतीय नेता” की सूची में?
- क्योंकि वे गरीबी और अछूतपन दोनों से लड़कर देश के सर्वोच्च स्थान तक पहुँचे।
- उन्होंने केवल खुद को ही नहीं बदला, बल्कि करोड़ों वंचित लोगों का जीवन बदल दिया।
- उनका जीवन यह दिखाता है कि गरीबी से नेता बने लोग भी पूरे देश की दिशा बदल सकते हैं।
5. ममता बनर्जी: साधारण जीवन से ‘दीदी’ तक

🌱 बचपन और गरीबी से जूझता परिवार
Top 10 गरीब भारतीय नेता (Top 10 Poor Indian Leaders) की सूची में अगला नाम है ममता बनर्जी, जिन्हें आज पूरा देश “दीदी” कहकर जानता है।
उनका जन्म 5 जनवरी 1955 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल के एक बेहद साधारण परिवार में हुआ।
जब वे सिर्फ 17 साल की थीं, तभी उनके पिता का निधन हो गया।
घर की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब थी और पिता के गुजरने के बाद ममता बनर्जी को पढ़ाई और घर दोनों संभालना पड़ा।
वे कई बार सड़कों पर चप्पल बेचकर और ट्यूशन पढ़ाकर अपने परिवार का खर्च चलाती थीं।
यहां तक कि पढ़ाई करने के लिए उन्होंने कभी उधार की किताबें और पब्लिक लाइब्रेरी का सहारा लिया।
📚 शिक्षा और संघर्ष
- ममता बनर्जी ने जोगमाया देवी कॉलेज, कोलकाता से स्नातक की पढ़ाई की।
- बाद में कलकत्ता विश्वविद्यालय से इतिहास में मास्टर्स और कानून की डिग्री हासिल की।
- आर्थिक संकट के बावजूद उन्होंने अपनी शिक्षा कभी अधूरी नहीं छोड़ी।
- वे पढ़ाई के दौरान भी राजनीति में सक्रिय थीं और छात्र संगठनों से जुड़ीं।
🏛 राजनीतिक सफर
- 1970 के दशक में वे कांग्रेस पार्टी से राजनीति में आईं।
- उन्होंने मजबूत इच्छाशक्ति के साथ बड़े नेताओं को चुनौती दी और आम जनता की आवाज बनीं।
- 1997 में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस (TMC) बनाई।
- 2011 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में उन्होंने 34 साल से शासन कर रही वामपंथी सरकार को हराया।
- इसके बाद वे पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं और लगातार तीन बार (2011, 2016, 2021) मुख्यमंत्री चुनी गईं।
💬 विचार और व्यक्तित्व
ममता बनर्जी को उनके सरल और सादगीपूर्ण जीवन के लिए जाना जाता है।
- वे आज भी साधारण कॉटन की सफेद साड़ी और हवाई चप्पल पहनती हैं।
- उनके भाषण और अंदाज़ में जनता से जुड़ने की शक्ति है।
- गरीब परिवार से निकलकर वे आज पश्चिम बंगाल की सबसे बड़ी राजनीतिक पहचान बन चुकी हैं।
📌 क्यों शामिल हैं “Top 10 गरीब भारतीय नेता” की सूची में?
- क्योंकि उन्होंने गरीबी और आर्थिक संघर्ष से निकलकर राजनीति में बड़ा मुकाम पाया।
- उनका जीवन यह दिखाता है कि गरीब परिवार से नेता बने लोग भी जनता का विश्वास जीत सकते हैं।
- ममता बनर्जी आज गरीब और मध्यमवर्ग की आवाज़ मानी जाती हैं।
6. मुलायम सिंह यादव: छोटे किसान से ‘नेता जी’ बनने तक

🌱 बचपन और गरीबी
Top 10 गरीब भारतीय नेता (Top 10 Poor Indian Leaders) की सूची में अगला नाम है मुलायम सिंह यादव, जिन्हें पूरा देश “नेता जी” कहकर जानता है।
उनका जन्म 22 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा ज़िले के छोटे से गाँव सैफई में हुआ था।
वे एक गरीब किसान परिवार से थे, जहाँ खेती ही आय का एकमात्र साधन था।
गांव में शिक्षा की सुविधाएँ बेहद सीमित थीं। अक्सर उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ खेतों में काम करना पड़ता था।
गरीबी इतनी थी कि उनके परिवार को कई बार दो वक्त की रोटी जुटाने में भी मुश्किल होती थी।
📚 शिक्षा और शुरुआती संघर्ष
- मुलायम सिंह यादव ने प्राथमिक शिक्षा गाँव से ही ली।
- आगे की पढ़ाई उन्होंने के.के. कॉलेज, इटावा और बाद में बी.आर. कॉलेज, आगरा विश्वविद्यालय से की।
- वे छात्र जीवन से ही राजनीति और समाज सेवा में सक्रिय हो गए थे।
- पहलवानी (कुश्ती) उनका शौक था और वे अखाड़े में खूब अभ्यास करते थे, जिससे उन्हें अनुशासन और साहस मिला।
🏛 राजनीतिक सफर
- 1967 में मुलायम सिंह पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए।
- वे धीरे-धीरे राज्य की राजनीति में मजबूत होते गए और जनता के बीच “गरीबों और किसानों की आवाज़” बन गए।
- 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी (SP) की स्थापना की।
- वे तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और केंद्र में रक्षा मंत्री भी रहे।
- उनका राजनीतिक करियर लगभग 50 वर्षों तक चला।
💬 व्यक्तित्व और विचार
मुलायम सिंह यादव का जीवन बेहद सादगीपूर्ण था।
- वे अक्सर साधारण धोती-कुर्ता पहनते थे।
- हमेशा किसानों, पिछड़ों और गरीब तबकों की राजनीति को आगे बढ़ाते रहे।
- उनकी छवि “धरती पुत्र” के रूप में बनी, क्योंकि उन्होंने ग्रामीण भारत की आवाज़ को राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाया।
📌 क्यों शामिल हैं “Top 10 गरीब भारतीय नेता” की सूची में?
- क्योंकि वे गरीब किसान परिवार से निकलकर देश की राजनीति के सबसे बड़े नेताओं में शामिल हुए।
- उनका जीवन यह साबित करता है कि साधारण किसान का बेटा भी प्रधानमंत्री पद तक पहुँच सकता है (वे प्रधानमंत्री पद की दौड़ में कई बार चर्चा में रहे)।
- वे भारत के उन नेताओं में गिने जाते हैं जिन्होंने गरीबों और किसानों की असली आवाज़ उठाई।
7. योगी आदित्यनाथ: गरीब परिवार से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तक (Yogi Adityanath: From Poor Family to UP Chief Minister)

🌾 बचपन और पारिवारिक पृष्ठभूमि (Childhood and Family Background):
योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के एक साधारण किसान परिवार में हुआ। उनके पिता छोटे किसान और समाजसेवी थे। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि उन्हें कोई विशेष सुविधा मिल सके। बचपन में ही योगी जी ने खेती और समाज सेवा में माता-पिता की मदद करना शुरू कर दिया।
📚 शिक्षा और साधना (Education and Spiritual Journey):
योगी आदित्यनाथ ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूल से पूरी की। छोटी उम्र से ही उन्हें धर्म और समाज सेवा में गहरी रुचि थी। युवावस्था में उन्होंने गोरखनाथ मठ (Gorakhnath Math) से जुड़कर सन्यास लिया और धर्म, साधना और जनसेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया।
🛤 राजनीतिक जीवन (Political Journey):
धार्मिक और सामाजिक प्रभाव के साथ, योगी आदित्यनाथ ने राजनीति में भी कदम रखा। 1998 में उन्हें गोरखपुर से लोकसभा सदस्य (MP) चुना गया। लगातार जनसेवा, ग्रामीण और गरीबों के हितों के लिए काम करते हुए उन्होंने राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई।
2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने राज्य में विकास, सुरक्षा और सामाजिक कल्याण (Development, Security, and Welfare) पर ध्यान केंद्रित किया। उनके प्रशासनिक निर्णय गरीब और वंचित वर्ग के लिए विशेष रूप से लाभकारी माने जाते हैं।
💬 प्रेरणादायक विचार (Inspirational Quote):
“गरीबी और साधारण जीवन ने मुझे हमेशा धरती से जुड़े रहने और जनता के लिए काम करने की शिक्षा दी।”
📌 क्यों शामिल हैं “Top 10 गरीब भारतीय नेता” की सूची में?
योगी आदित्यनाथ ने साधारण और गरीब परिवार से उठकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने तक का सफर तय किया। उनका संघर्ष, साधना और जनसेवा का प्रतीक है। इसी कारण उन्हें इस सूची में शामिल किया गया है।
8. चौधरी चरण सिंह: गरीब किसान परिवार से भारत के प्रधानमंत्री तक

🏡 बचपन और पारिवारिक पृष्ठभूमि:
चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश के एक गरीब किसान परिवार में हुआ। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। बचपन में उन्हें खेतों में मेहनत करनी पड़ती थी और कई बार खुद भूख और कठिनाई का सामना करना पड़ा। मिट्टी के घर में रहने वाले चौधरी चरण सिंह ने कठिन परिस्थितियों में जीना सीखा।
📚 शिक्षा और संघर्ष:
गरीबी के बावजूद चारण सिंह ने पढ़ाई नहीं छोड़ी। उन्होंने कृषि और राजनीति में गहरी रुचि विकसित की। उन्होंने अपने गांव और आसपास के क्षेत्रों में किसानों की समस्याओं को देखा और समझा। यही अनुभव उनके जीवन का आधार बना और उन्होंने किसान हितैषी नीतियों पर काम करना शुरू किया।
🏛 राजनीतिक जीवन:
चारण सिंह ने अपनी राजनीतिक यात्रा किसान आंदोलन और ग्रामीण सुधार से शुरू की। धीरे-धीरे उनकी लोकप्रियता बढ़ी और वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उनकी राजनीतिक छवि एक ऐसे नेता की थी जो सच्चाई, किसान हित और गरीबी के अनुभव से प्रेरित थी।
🇮🇳 प्रधानमंत्री बनने तक का सफर:
1979 में चारण सिंह भारत के 7वें प्रधानमंत्री बने। उनकी सरकार भले ही छोटी अवधि की रही, लेकिन उन्होंने हमेशा गरीब और किसान वर्ग के लिए नीतियों पर जोर दिया। उनका जीवन यह प्रमाण है कि गरीबी और साधारण पृष्ठभूमि किसी भी व्यक्ति को उच्च पद तक पहुँचने से नहीं रोक सकती।
💬 प्रेरणादायक विचार:
“किसानों और गरीबों की भलाई ही समाज और राष्ट्र की असली शक्ति है। गरीबी ने मुझे समझाया कि सेवा और सच्चाई से बड़ा कोई गुण नहीं।”
9. एच. डी. देवेगौड़ा (H. D. Deve Gowda) – किसान परिवार से प्रधानमंत्री बने

🏡 पारिवारिक पृष्ठभूमि और बचपन
एच. डी. देवेगौड़ा का जन्म 18 मई 1933, देवनहल्ली, कर्नाटक के एक गरीब किसान परिवार में हुआ। उनके परिवार की आय मुख्यतः कृषि पर निर्भर थी। बचपन से ही उन्हें खेतों में काम करना पड़ता था और कठिन आर्थिक परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। मिट्टी के घर में रहकर उन्होंने साधारण जीवन और मेहनत का महत्व सीखा।
📚 शिक्षा और प्रारंभिक संघर्ष
गरीबी के बावजूद, देवेगौड़ा ने अपनी पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने कृषि विज्ञान और स्थानीय प्रशासन में शिक्षा प्राप्त की। इसी दौरान उन्होंने देखा कि किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों के लोग आर्थिक एवं सामाजिक रूप से कितने पिछड़े हैं, और इसी समझ ने उन्हें राजनीति की ओर प्रेरित किया।
🏛 राजनीतिक जीवन और उभार
एच. डी. देवेगौड़ा ने अपनी राजनीति की शुरुआत स्थानीय पंचायत और किसान संगठनों से की। उन्होंने कर्नाटक राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया और राज्य में किसान कल्याण और ग्रामीण विकास के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएँ लागू कीं। उनकी लोकप्रियता और संघर्षशील छवि ने उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में स्थान दिलाया।
🇮🇳 प्रधानमंत्री बनने तक का सफर
1996 में, देवेगौड़ा भारत के 11वें प्रधानमंत्री बने। उनके प्रधानमंत्री बनने की कहानी भी गरीबी और संघर्ष से जुड़ी है। उन्होंने हमेशा किसानों और ग्रामीण गरीबों के लिए नीतियों पर जोर दिया और उनकी राजनीति में सेवा भाव प्रमुख रहा।
💬 प्रेरणादायक विचार
“किसान और गरीब ही राष्ट्र की असली शक्ति हैं। कठिनाइयों ने मुझे यह सिखाया कि सेवा और ईमानदारी से बड़ा कोई गुण नहीं।”
10. बाबू जगजीवन राम (Babu Jagjivan Ram) – दलित पृष्ठभूमि से केंद्रीय मंत्री और समाज सुधारक

🏡 पारिवारिक पृष्ठभूमि और बचपन
बाबू जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल 1908, फैजाबाद, उत्तर प्रदेश के एक गरीब दलित परिवार में हुआ। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी। घर कच्चा था और रोजमर्रा की जरूरतों के लिए संघर्ष करना पड़ता था। बचपन में उन्हें जातिवाद और सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ा, जिसने उनके जीवन और सोच को गहराई दी।
📚 शिक्षा और प्रारंभिक संघर्ष
गरीबी और सामाजिक बाधाओं के बावजूद, जगजीवन राम ने पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने कानून और राजनीति विज्ञान में शिक्षा प्राप्त की। स्कूल और कॉलेज में उन्हें अक्सर भेदभाव झेलना पड़ता था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और समाज सुधार और दलित अधिकारों के लिए अपनी शिक्षा का उपयोग किया।
🏛 राजनीतिक जीवन और योगदान
बाबू जगजीवन राम ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया और बाद में भारतीय संसद में जगह बनाई। उन्होंने लगातार दलितों और गरीबों के लिए नीतियाँ बनाई और सामाजिक न्याय को बढ़ावा दिया। वे कई केंद्रीय मंत्रालयों में रहे, जैसे कृषि मंत्री, रक्षा मंत्री और श्रम मंत्री, और हर पद पर उन्होंने गरीब और पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए काम किया।
💬 प्रेरणादायक विचार
“गरीबी और भेदभाव ने मुझे मजबूत बनाया। सेवा और न्याय के बिना समाज का विकास असंभव है।”
🌟 विशेष योगदान
- दलितों के लिए आरक्षण और सामाजिक सुरक्षा नीतियों का विकास।
- ग्रामीण और गरीब किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ।
- भारतीय राजनीति में संघर्षशील और ईमानदार नेतृत्व की मिसाल।
