राजनीति केवल भाषणों और वादों की दुनिया नहीं है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहाँ दृष्टि, धैर्य, चालाकी, नैतिकता और अवसर की पहचान — इन सबका सामंजस्य जरूरी होता है। जब हम इतिहास के सबसे व्यवहारिक राजनीतिक विचारकों की बात करते हैं, तो इटली के निकोलो मकावेली का नाम स्वाभाविक रूप से आता है। उनकी प्रसिद्ध रचना “The Prince” शासकों के लिए एक मार्गदर्शक मानी जाती है, जिसमें बताया गया है कि सत्ता पाने, बनाए रखने और प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए क्या करना चाहिए — चाहे वह नैतिक हो या नहीं।
आज जब हम भारत की राजनीति को देखें, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व उसी मकावेलियन दर्शन की याद दिलाता है — परंतु एक अधिक परिपक्व, लोकतांत्रिक और जन-भावनाओं से जुड़े हुए रूप में। यह लेख मोदी जी के राजनीतिक कौशल, निर्णय क्षमता, और सत्ता-प्रबंधन की उस शैली की चर्चा करता है, जिसे कोई भी नेतृत्वकर्ता सीखना चाहेगा।

1. सत्ता की चढ़ाई — Virtù का परिचय
The Prince” में मकावेली कहते हैं कि जो शासक अपनी योग्यता, विवेक और रणनीतिक चतुराई (Virtù) के बल पर सत्ता प्राप्त करते हैं, वे स्थायी शासन की नींव रखते हैं। नरेंद्र मोदी का उभार इसी Virtù का एक ज्वलंत उदाहरण है।
गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में 2001 से शुरुआत कर, मोदी ने प्रशासनिक दक्षता और जनसंपर्क की शक्ति से राष्ट्रीय स्तर पर अपने लिए जगह बनाई। 2013-14 में जब कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के आरोपों की बौछार थी, मोदी ने “विकास पुरुष” की छवि बनाकर जनता को विकल्प प्रदान किया। उन्होंने राजनीतिक अवसर को पहचाना और इसे जनता के क्रोध को दिशा देने के लिए प्रयोग किया — ठीक उसी तरह जैसे मकावेली सुझाते हैं।
2. जनभावना का प्रबंधन — प्रेम बनाम भय
मकावेली कहते हैं, “It is better to be feared than loved, if you cannot be both.” मोदी जी ने अपने नेतृत्व में प्रेम और भय दोनों का संतुलन बनाया:
प्रेम: “मन की बात”, डिजिटल इंडिया, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत जैसी जनहित योजनाएं।
भय: आतंकवाद पर सर्जिकल स्ट्राइक, अनुच्छेद 370 को हटाना, NRC और CAA जैसे साहसी निर्णय।
इस संतुलन से उन्होंने एक ऐसा जननेता रूप गढ़ा जो भावनात्मक रूप से जनता से जुड़ा भी है और निर्णायक भी।
3. छवि निर्माण और प्रचार — एक आधुनिक प्रिंस की रणनीति
मकावेली मानते हैं कि एक शासक को केवल अच्छा नहीं होना चाहिए, बल्कि उसे दिखना भी चाहिए कि वह अच्छा है। मोदी सरकार के तहत सूचना और तकनीक का अद्भुत उपयोग हुआ है:
- पेशेवर सोशल मीडिया टीम,
- राष्ट्रवादी फिल्मों और डाक्यूमेंट्रीज,
- वैश्विक मंचों पर ब्रांड इंडिया का प्रचार।
उन्होंने खुद को एक “मज़बूत नेता”, “विकास के प्रतीक” और “भारत के वैश्विक प्रतिनिधि” के रूप में प्रस्तुत किया है।
4. विरोधियों को नियंत्रित करने की कला
मकावेली ने विरोधियों को नियंत्रित करने या कमजोर करने की आवश्यकता पर बल दिया है। मोदी जी ने:
- विपक्ष को वैचारिक रूप से विभाजित किया,
- क्षेत्रीय दलों को या तो साथ लिया या सीमित किया,
- अपनी पार्टी के भीतर अनुशासन और छवि निर्माण को बनाए रखा।
“कांग्रेस-मुक्त भारत” का नारा इसका एक सशक्त उदाहरण है।
5. अवसर की पहचान और उसका उपयोग
मकावेली ने लिखा है कि एक अच्छे शासक को Fortuna (अवसर) की पहचान होनी चाहिए। मोदी ने हर संकट को अवसर में बदला:
- नोटबंदी के दौरान कड़े निर्णय को भ्रष्टाचार-विरोधी कार्यवाही के रूप में प्रस्तुत किया,
- कोविड महामारी को आत्मनिर्भर भारत के आह्वान में बदला,
- वैश्विक मंचों पर भारत की छवि को “Vishwa Guru” के रूप में प्रस्तुत किया।
निष्कर्ष: एक लोकतांत्रिक मकावेलियन
जहाँ मकावेली का दर्शन सत्ता की क्रूरता से जुड़ा माना जाता है, मोदी ने उसी दर्शन को लोकतांत्रिक सीमाओं में रहते हुए प्रभावी ढंग से अपनाया है। उन्होंने सत्ता को केवल सत्ता नहीं माना, बल्कि सेवा और छवि का साधन बनाया। जनता को जोड़ा, डराया नहीं; प्रेरित किया।
आज के दौर में अगर मकावेली होते, तो शायद नरेंद्र मोदी को “The Democratic Prince” कहकर पुकारते।